लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने किसी भी सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) को समर्थन देने की घोषणा की है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम 1993 के विधानसभा चुनाव की याद दिलाता है, जब सपा ने कांग्रेस का अप्रत्यक्ष समर्थन किया था।
कांग्रेस का यह निर्णय इस वजह से भी अहम है क्योंकि पार्टी मझवां और फूलपुर सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन सपा ने केवल गाजियाबाद और खैर सीटें ही छोड़ी थीं। कांग्रेस का मानना है कि इन सीटों पर उसका संगठन अपेक्षाकृत कमजोर है, और बेहतर यही होगा कि वह चुनाव में उतरे बिना सपा का समर्थन करे।
कांग्रेस के इस रुख को 1993 की स्थिति से जोड़ा जा रहा है, जब बीजेपी के खिलाफ चुनावी मुकाबले में सपा ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को सहयोग मिला था।