दीपावली से पहले आज छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भी दिवाली की ही तरह दीप जलाने की परंपरा है। रात के समय लोग यमराज का दीपक जलाते हैं, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी की रात को यमराज का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु या किसी भी अनहोनी की आशंका समाप्त हो जाती है। इस दीपदान को “यम दीपदान” भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है और इसे मृत्यु के बाद नरक से मुक्ति का उपाय माना गया है।
यम दीपक जलाने का महत्व
नरक चतुर्दशी पर यम दीपक जलाने के पीछे मान्यता है कि इससे मृत्यु का भय दूर होता है और यमराज की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है। छोटी दिवाली के दिन दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार का वातावरण शुभ बना रहता है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी बना रहता है।
यम दीपक कब और कैसे जलाएं?
यम दीपक को नरक चतुर्दशी की रात सूर्यास्त के बाद जलाया जाता है। इसे घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है और इसे विशेष रूप से मिट्टी के दीपक में जलाया जाता है। इस दीपक में सरसों का तेल डालकर उसे दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस तरह दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
