दमोह : इस वर्ष दीपावली पर्व पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त विशेष परिस्थितियों के अनुसार विभाजित किया गया है। श्री श्रीभगवान वेदांताचार्य रसिक ने स्पष्ट किया कि इस बार अमावस्या तिथि दो दिन, 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2024, प्रदोष काल में व्याप्त है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार पितृ कार्य और लक्ष्मी पूजन के लिए दूसरे दिन यानी 1 नवंबर को पूजा करना अधिक शुभ है।
शास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार:
धर्मशास्त्र के अनुसार, जब अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन लक्ष्मी पूजन करना उचित होता है। इस दृष्टि से, अमावस्या का अधिक समय 1 नवंबर को प्रदोष काल में रहेगा, जो पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है। श्री वेदांताचार्य के अनुसार, 1 नवंबर को ही मुख्य पूजा का आयोजन करना चाहिए, क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि सूर्योदय से लेकर प्रदोष काल तक पूर्ण रूप से व्याप्त है।
विशेष निर्देश:
31 अक्टूबर को राजा, मंत्री, शंकराचार्य, सभी षडदर्शन आचार्य, प्रमुख सन्यासी और तांत्रिक जो सिद्धि प्राप्ति के इच्छुक हैं, उनके लिए निशीथ काल (रात्रि में) में पूजा का विशेष महत्व है।

1 नवंबर को कृषक, व्यापारी, पत्रकार, नौकरीपेशा, अधिकारी और जन सेवा में लगे लोगों के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त सर्वोत्तम रहेगा। इस दिन सायं 5:32 से 6:18 तक का समय लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष रूप से शुभ बताया गया है।
धर्म और गणितीय ज्योतिष का संतुलन:
श्री वेदांताचार्य ने सभी ज्योतिषियों और विद्वानों से आह्वान किया है कि वे शास्त्रीय दृग्गणित और सौर गणना का अनुसरण करते हुए पर्व तिथियों की एकता को सुनिश्चित करें। इससे देशभर में व्रत-पर्व की तिथियों में भिन्नता को दूर किया जा सकता है।