नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने मंगलवार को निजी संपत्तियों के अधिग्रहण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
बेंच ने अपने तीन हिस्सों के निर्णय में कहा कि निजी संपत्ति किसी समुदाय के भौतिक संसाधन का हिस्सा हो सकती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि हर संपत्ति, जिसका मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास है, उसे सामुदायिक संपत्ति के रूप में माना जाए। इस फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 1978 के जस्टिस कृष्णा अय्यर के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी संपत्तियों का सरकार द्वारा अधिग्रहण किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निजी संपत्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। अब हर निजी संपत्ति को अधिग्रहण के दायरे में नहीं लाया जा सकता है, जो निजी संपत्ति के अधिकार को और मजबूती देता है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार किसी भी निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति का हिस्सा मानकर अधिग्रहण नहीं कर सकती।