चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री M K Stalin ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC ) की वेबसाइट पर हिंदी के इस्तेमाल की कड़ी आलोचना की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) प्रमुख ने कहा कि LIC की वेबसाइट को “हिंदी थोपने के लिए एक प्रचार उपकरण” बना दिया गया है। स्टालिन ने कहा कि यहां तक कि अंग्रेजी भाषा के विकल्प को भी हिंदी में प्रदर्शित किया जा रहा है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी का इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से थोपने जैसा है और यह भारत की विविधता को कुचलने की कोशिश है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि LIC ने भारतीयों के विश्वास को धोखा दिया है। उन्होंने “हिंदी थोपना बंद करो” हैशटैग के साथ एक पोस्ट भी साझा किया और इस भाषाई अत्याचार को तुरंत वापस लेने की मांग की।
दक्षिण भारत ( South India ) में हिंदी के विरोध का मुख्य कारण वहां की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान है। तमिल, कन्नड़, मलयालम और तेलुगु जैसी भाषाएं स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन भाषाओं को संरक्षित रखने के लिए दक्षिण भारतीय राज्य हिंदी को अपनी संस्कृति पर हमला मानते हैं। उनका यह मानना है कि यदि हिंदी को अनिवार्य किया गया, तो उनकी मातृभाषाओं का महत्व कम हो सकता है, जिससे उनकी सांस्कृतिक अस्मिता को खतरा हो सकता है।
राजनीतिक दृष्टि से भी हिंदी का विरोध ऐतिहासिक है। 1940 के दशक में तमिलनाडु में हिंदी विरोध आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जब केंद्र सरकार ने हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने की कोशिश की थी। तब से अब तक, दक्षिण भारतीय राज्य हिंदी को अपनी मातृभाषाओं की कीमत पर अनिवार्य करने के खिलाफ रहे हैं और इसे अपनी सांस्कृतिक अस्मिता के लिए खतरा मानते हैं।
