सियोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार देर रात देश में लगाए गए मार्शल लॉ को समाप्त करने की घोषणा की। यह कदम संसद के भारी विरोध और मतदान के बाद उठाया गया, जिसमें 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ के खिलाफ अपना मत दिया।
मार्शल लॉ लागू होने के बाद देशभर में जनता ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया। राजधानी सियोल की गलियों में आर्मी के टैंक देखे गए, जिसके बाद बिगड़ते हालात को देखते हुए राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों का तीखा विरोध
मार्शल लॉ के फैसले का विरोध केवल विपक्ष तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने भी इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया। राष्ट्रपति की अपनी पार्टी के नेता हैन डोंग-हून ने भी खुले तौर पर इस फैसले की आलोचना की और संसद में हुए मतदान में भाग लेकर इसका विरोध जताया।
राष्ट्रपति यून का बयान
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि मार्शल लॉ देश विरोधी ताकतों को कुचलने के लिए लागू किया गया था। हालांकि, लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जिससे यह फैसला राष्ट्रपति को वापस लेना पड़ा।
पांच दशक बाद फिर से लागू हुआ था मार्शल लॉ
दक्षिण कोरिया में लगभग 50 वर्षों बाद मार्शल लॉ लागू किया गया था। इससे पहले 1980 में इसे लगाया गया था। दक्षिण कोरिया, जो एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक और अमेरिका का करीबी सहयोगी है, में चार दशकों से भी अधिक समय से लोकतांत्रिक प्रणाली कायम है। इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि यह देश की लोकतांत्रिक छवि के विपरीत था।
