Maa Kali:– यह एक स्तोत्र (मंत्र) है, वो देवी दुर्गा के काली (Kali) रूप की स्तुति करता है। इस स्तोत्र में देवी काली के स्वरूप और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। आइए इसे समझते हैं:
ॐ करणां वदनां धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम् । कालिंकां दक्षिणां दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम्॥ शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे, सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।’
संस्कृत पाठ का अर्थ:
“ॐ करणां वदनां धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालिंकां दक्षिणां दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम्॥”
• यहाँ देवी काली (Maa Kali)के स्वरूप का वर्णन किया गया है।

• करणां वदनां धोरां: उनका मुख गंभीर और शक्ति से भरा हुआ है।
• मुक्तकेशी: उनके बाल खुले हुए हैं।
• चतुर्भुजाम्: उनकी चार भुजाएँ हैं।
• कालिंकां दक्षिणां दिव्यां: वे कालिका देवी हैं, जो दुष्टों का नाश करती हैं।
• मुण्डमाला विभूषिताम्: उनके गले में मुण्डों (कटे हुए सिरों) की माला सुशोभित है, जो उनके रौद्र रूप का प्रतीक है।
“शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,

सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।”
• इस भाग में उनकी कृपा और करुणा का वर्णन है।
• शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे: जो भी भक्त दुखी होकर उनकी शरण में आता है, देवी उसकी रक्षा करती हैं।
• सर्वस्यार्तिहरे देवि: वे सभी प्रकार की पीड़ा और कष्टों को दूर करने वाली हैं।
• नारायणि! नमोस्तुते: नारायणी देवी (शक्ति का रूप) को नमन।
देवी काली की महिमा:

देवी काली (Maa Kali ) हिंदू धर्म में शक्ति, विनाश और पुनर्निर्माण का प्रतीक हैं। उनका यह रूप बुराई और अधर्म के अंत के लिए जाना जाता है। इस स्तोत्र में उनकी कृपा और उनकी शक्ति दोनों का वर्णन है। भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि माँ काली उनके जीवन के संकटों को हरें और उन्हें भयमुक्त करें।

उपयोग:
• इस मंत्र का पाठ ध्यान, आराधना, और संकटों को दूर करने के लिए किया जाता है।
• इसे पूरी श्रद्धा और ध्यान से पढ़ने से मनोबल और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।
• यह मंत्र माँ काली के प्रति भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है।