भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और करियर एक प्रेरणादायक गाथा है। एक आर्थिक सलाहकार के रूप में शुरुआत करने वाले मनमोहन सिंह ने अपनी विद्वता और दूरदर्शिता से देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और फिर एक दशक तक प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र का नेतृत्व किया। उनका पांच दशक लंबा नौकरशाही और राजनीतिक सफर भारत के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के गाह गांव (अब पाकिस्तान) में हुआ। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए। वहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
उनकी विद्वता के चलते उन्हें भारतीय नौकरशाही में महत्वपूर्ण स्थान मिला। वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-1987) भी रहे। उनके कार्यकाल में भारत की आर्थिक नीतियों को एक नई दिशा मिली।
वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक क्रांति
1991 में जब भारत आर्थिक संकट के कगार पर था, तब पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने आर्थिक सुधारों की ऐतिहासिक पहल की।
– आर्थिक उदारीकरण:
भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोला।
– निजीकरण और वैश्वीकरण:
निवेशकों को प्रोत्साहित किया और निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया।
– विदेशी मुद्रा भंडार संकट से राहत:
विदेशी निवेश को आकर्षित कर भारत को वित्तीय संकट से उबारा। मनमोहन सिंह की इन नीतियों ने भारत को आर्थिक प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ाया और देश को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया।
प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक कार्यकाल (2004-2014)
2004 में मनमोहन सिंह को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का नेता बनाकर प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने 2014 तक दो कार्यकालों में देश का नेतृत्व किया।
मुख्य उपलब्धियां
1. आर्थिक विकास दर में वृद्धि: उनके कार्यकाल में भारत की जीडीपी औसतन 8% तक बढ़ी।
2. परमाणु समझौता: 2008 में भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते को सफलतापूर्वक लागू किया।
3. मनरेगा योजना:
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लागू कर गरीबों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की।
4. शिक्षा और स्वास्थ्य:
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।
5. विदेश नीति: उन्होंने चीन, अमेरिका और यूरोप के साथ संबंध मजबूत किए और भारत को वैश्विक मंच पर एक सशक्त देश के रूप में स्थापित किया।
खामोश लेकिन मजबूत नेतृत्व
मनमोहन सिंह अपने शांत और मृदुभाषी स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वे विवादों से दूर रहते थे, लेकिन जब बोलते थे, तो उनकी बातों में गहराई और मजबूती होती थी।
– उन्हें अक्सर ‘साइलेंट परफॉर्मर’ कहा जाता था।
– उन्होंने आर्थिक नीतियों और विदेश नीति के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनकी आज भी सराहना की जाती है।
व्यक्तिगत जीवन और सम्मान
मनमोहन सिंह का विवाह गुरशरण कौर से हुआ। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। उन्हें पद्म विभूषण (1987) सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले।
निधन और देशभर में शोक
26 दिसंबर 2024 को एम्स, दिल्ली में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद देश और दुनिया भर से शोक संदेश आने लगे। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विभिन्न नेताओं ने उनके योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
विरासत और यादें
मनमोहन सिंह का सफर नौकरशाही से राजनीति तक एक मिसाल है। उन्होंने भारत को आर्थिक सुधारों की राह पर आगे बढ़ाया और देश को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई। उनका जीवन और कार्य भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक अमूल्य योगदान के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे।