वॉशिंगटन: अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जिमी कार्टर का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। कार्टर सेंटर के अनुसार, उन्होंने रविवार को जॉर्जिया स्थित प्लेन्स में अपने घर पर अंतिम सांस ली। मानवाधिकारों और परोपकार के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता ने उन्हें अमेरिकी इतिहास के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बना दिया।
एक सदी का जीवन सफर
1 अक्टूबर 1924 को जॉर्जिया के एक किसान परिवार में जन्मे जिमी कार्टर ने नौसेना से लेकर राजनीति तक का सफर तय किया। वे जॉर्जिया के सीनेटर और गवर्नर बनने के बाद 1976 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। उनका राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 1980 में समाप्त हुआ।
मानवाधिकारों और समाजसेवा के अग्रदूत
राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद 1982 में उन्होंने ‘कार्टर सेंटर’ की स्थापना की। यह संस्था मानवाधिकारों की रक्षा, चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर केंद्रित है। उनकी संस्था ने गिनी वर्म जैसे घातक रोगों को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मान
2002 में जिमी कार्टर को शांति और मानवाधिकारों के प्रति उनके योगदान के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। उनका नाम 1978 के ऐतिहासिक कैंप डेविड समझौते से भी जुड़ा है, जिसने मध्य पूर्व में शांति स्थापना की नई दिशा प्रदान की।
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिमी कार्टर को “प्रिय मित्र” और “अद्वितीय नेता” कहकर याद किया। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका उनके योगदान का सदैव ऋणी रहेगा।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई
जिमी कार्टर के अंतिम संस्कार की तैयारियां राजकीय सम्मान के साथ की जा रही हैं। उनका जीवन और उनकी सेवा हमेशा मानवता और शांति के प्रति प्रेरणा का स्त्रोत बनी रहेंगी।