Varanasi/Prayagraj : ज्ञानवापी परिसर के वजुखाना क्षेत्र के सर्वेक्षण को लेकर वाराणसी सिविल कोर्ट के 21 अक्टूबर 2023 के फैसले को चुनौती देते हुए श्रृंगार गौरी केस की पक्षकार राखी सिंह ने Allahabad High Court में सिविल रिवीजन याचिका दाखिल की है। वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को वजुखाना क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। अब इस फैसले को High Court में चुनौती दी गई है, जिससे एक बार फिर मामला सुर्खियों में आ गया है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि वजुखाना में जो संरचना मौजूद है, वह शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे एक सामान्य फव्वारा बताता है। इस विवाद के बीच अब Allahabad High Court में सिर्फ वजुखाना क्षेत्र के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति को लेकर सुनवाई हो रही है, जिसमें शिवलिंग को छोड़कर बाकी क्षेत्र को सर्वेक्षण में शामिल करने की मांग की गई है।

इसी के साथ वर्ष 1991 में दाखिल किए गए स्वयंभू लार्ड आदि विश्वेश्वर व चार अन्य द्वारा दाखिल वाद में भी अतिरिक्त वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग को लेकर याचिका Allahabad High Court में लंबित है। इस याचिका पर 15 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने दोनों मामलों को जोड़ते हुए एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया है।

फिलहाल, इन दोनों मामलों की सुनवाई High Court की जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ कर रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही अंतरिम आदेश पारित कर रखा है कि किसी भी अधीनस्थ या उच्च न्यायालय द्वारा ज्ञानवापी परिसर को लेकर कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश, विशेष रूप से सर्वेक्षण से संबंधित, पारित नहीं किया जाएगा।

ऐसे में अब निगाहें इस बात पर हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम निर्देशों के बीच इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है। हिंदू पक्ष जहां वजुखाना क्षेत्र में शिवलिंग की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक सर्वे चाहता है, वहीं मुस्लिम पक्ष पहले ही इसे धार्मिक स्थलीकरण और शांति व्यवस्था के लिए खतरा बता चुका है।
