अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच भारतवंशियों का ऐतिहासिक प्रदर्शन, जानें किसे कहां मिली जीत

वॉशिंगटन I अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के साथ-साथ इस बार संसद की कई सीटों पर भी रोमांचक मुकाबले हुए। जहां एक ओर राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच जबरदस्त टक्कर है, वहीं दूसरी ओर भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों ने अपनी शानदार जीत से इतिहास रच दिया है। इसी कड़ी में सुहास सुब्रमण्यम ने पहली बार चुनाव लड़ते ही अमेरिकी संसद के निचले सदन, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में जगह बना ली है। इसके साथ ही वे वर्जिनिया और ईस्ट कोस्ट से जीतने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बन गए हैं।

38 साल के सुहास सुब्रमण्यम डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार थे। उन्होंने वर्जिनिया के 10वें संसदीय जिले से रिपब्लिकन उम्मीदवार माइक क्लैंसी को हराया। जीत के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए सुहास ने कहा, “यह मेरे लिए बहुत गर्व का पल है। इस जिले की जनता ने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसके लिए मैं दिल से शुक्रगुजार हूँ। यह जगह मेरा घर है, मेरी शादी यहीं हुई और मेरी बेटियाँ यहीं पली-बढ़ी हैं। इस क्षेत्र की समस्याएं मेरे परिवार की समस्याएं भी हैं। वॉशिंगटन में अपने लोगों की आवाज़ बनना मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है।”

सुब्रमण्यम का राजनीतिक सफर पहले से ही प्रेरणादायक है। व्हाइट हाउस में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार रहे सुहास की धार्मिक आस्था हिंदू धर्म में है, और वे भारतीय-अमेरिकी समुदाय में खासे लोकप्रिय हैं।

सुब्रमण्यम की जीत के साथ वे भारतीय-अमेरिकी ‘समोसा कॉकस’ का हिस्सा बन गए हैं। इस कॉकस में पहले से ही अमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और श्री थानेदार जैसे प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी सांसद शामिल हैं। इस बार के चुनाव में श्री थानेदार ने भी लगातार दूसरी बार मिशिगन के 13वें जिले से जीत हासिल की। वहीं राजा कृष्णमूर्ति, जो कि इलिनॉय के 7वें जिले से 2017 से सांसद हैं, को भी एक बार फिर जीत मिली।

भारतीय-अमेरिकियों की यह जीत एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि अब भारतीय समुदाय न केवल अमेरिका की राजनीति में अपनी पहचान बना रहा है बल्कि वह आम जनता की आवाज बनकर एक नए बदलाव का प्रतीक बन रहा है।

Ad 1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *