15 मिनट की आतिशबाजी, 25 मिनट का लेजर शो...PM Modi भी वर्चुअली देखेंगे काशी की भव्य देव दीपावली
Updated: Nov 3, 2025, 11:18 IST
Dev Deepawali 2025 : इस वर्ष देव दीपावली पर गंगा आरती का आयोजन पहले से भी अधिक भव्य होगा। 21 अर्चक और 42 देव-कन्याएं एक साथ महाआरती करेंगी। गंगा सेवा निधि की ओर से पहली बार इस आयोजन का लाइव प्रसारण यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा, ताकि देश-विदेश के लोग घर बैठे ही इस दिव्य आरती के साक्षी बन सकें। गंगा आरती के दिव्य दर्शन के लिए करीब दो लाख श्रद्धालु घाटों और नावों पर मौजूद रहेंगे।
आतिशबाजी और लेजर शो का जादू
देव दीपावली की शाम करीब 15 मिनट तक आतिशबाजी चलेगी, जबकि तीन शिफ्ट में एक घंटे तक लेजर शो का शानदार प्रदर्शन होगा। पर्यटन विभाग और महोत्सव समिति वाराणसी ने 25 लाख से अधिक दीपों की व्यवस्था की है।
कुल 20 सेक्टरों में घाटों को विभाजित किया गया है और प्रत्येक सेक्टर के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज से होगी। इसके बाद 3-डी प्रोजेक्शन मैपिंग और लेजर शो में काशी की संस्कृति, गंगा की महिमा और विश्वनाथ नगरी की आस्था को प्रदर्शित किया जाएगा।
गंगा आरती कैसे शुरु हुई
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा बताते हैं कि गंगा आरती की शुरुआत 1989 में उनके पिता स्व. सत्येंद्र मिश्रा और कुछ दोस्तों ने की थी। उस वक्त दशाश्वमेध घाट पर शाम को सन्नाटा छाया रहता था। तब उन्होंने सोचा कि घाट पर गंगा आरती की परंपरा शुरू होनी चाहिए।
पहले सिर्फ एक अर्चक आरती करते थे, बाद में यह संख्या बढ़कर तीन, फिर पांच, और आज सात अर्चक हो गई है। देव दीपावली के अवसर पर यह परंपरा और भी भव्य रूप ले लेती है, जब 21 अर्चक और 42 देव कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के रूप में उपस्थित रहती हैं।
1.5 महीने पहले से शुरू होती है तैयारी
गंगा सेवा निधि की 35 सदस्यीय टीम रोजाना आरती के प्रबंधन में जुटी रहती है। देव दीपावली की तैयारी डेढ़ महीने पहले से शुरू हो जाती है। पूरा घाट फूलों से सजाया जाता है और आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। संस्था कार्तिक महीने में आकाशदीप जलाने की परंपरा भी निभाती है, जो 1999 में कारगिल विजय के बाद शुरू हुई थी।
इस बार भारत के शौर्य के 25 वर्ष पूरे होने पर यह आकाशदीप शहीद सैनिकों की याद में जलाए जाएंगे।
अमर जवानों को नमन
इस वर्ष महाआरती के दौरान कई वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिनमें अमर बलिदानी अरविंद कुमार यादव, सुनील कुमार पांडेय, रितेश कुमार सिंह, इंद्रभूषण सिंह और 11वीं बटालियन NDRF के राम बहादुर सिंह शामिल हैं। साथ ही, पहलगाम हमले में शहीद हुए जवानों को भी नमन किया जाएगा।
लाइव टेलीकास्ट और सुरक्षा व्यवस्था
भक्त संस्था के आधिकारिक यूट्यूब चैनल @gangaaartigangasevanidhi2261 पर महाआरती का लाइव प्रसारण देख सकेंगे। आयोजकों ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए घाटों पर 24 सीसीटीवी कैमरे, 150 वॉलंटियर, और 100 स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। इसके अलावा राजकीय चिकित्सालय की टीम, एम्बुलेंस, और 11वीं वाहिनी NDRF की वाटर एम्बुलेंस भी तैनात की जाएगी।
आतिशबाजी और लेजर शो का जादू
देव दीपावली की शाम करीब 15 मिनट तक आतिशबाजी चलेगी, जबकि तीन शिफ्ट में एक घंटे तक लेजर शो का शानदार प्रदर्शन होगा। पर्यटन विभाग और महोत्सव समिति वाराणसी ने 25 लाख से अधिक दीपों की व्यवस्था की है।
कुल 20 सेक्टरों में घाटों को विभाजित किया गया है और प्रत्येक सेक्टर के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज से होगी। इसके बाद 3-डी प्रोजेक्शन मैपिंग और लेजर शो में काशी की संस्कृति, गंगा की महिमा और विश्वनाथ नगरी की आस्था को प्रदर्शित किया जाएगा।
गंगा आरती कैसे शुरु हुई
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा बताते हैं कि गंगा आरती की शुरुआत 1989 में उनके पिता स्व. सत्येंद्र मिश्रा और कुछ दोस्तों ने की थी। उस वक्त दशाश्वमेध घाट पर शाम को सन्नाटा छाया रहता था। तब उन्होंने सोचा कि घाट पर गंगा आरती की परंपरा शुरू होनी चाहिए।
पहले सिर्फ एक अर्चक आरती करते थे, बाद में यह संख्या बढ़कर तीन, फिर पांच, और आज सात अर्चक हो गई है। देव दीपावली के अवसर पर यह परंपरा और भी भव्य रूप ले लेती है, जब 21 अर्चक और 42 देव कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के रूप में उपस्थित रहती हैं।
1.5 महीने पहले से शुरू होती है तैयारी
गंगा सेवा निधि की 35 सदस्यीय टीम रोजाना आरती के प्रबंधन में जुटी रहती है। देव दीपावली की तैयारी डेढ़ महीने पहले से शुरू हो जाती है। पूरा घाट फूलों से सजाया जाता है और आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। संस्था कार्तिक महीने में आकाशदीप जलाने की परंपरा भी निभाती है, जो 1999 में कारगिल विजय के बाद शुरू हुई थी।
इस बार भारत के शौर्य के 25 वर्ष पूरे होने पर यह आकाशदीप शहीद सैनिकों की याद में जलाए जाएंगे।
अमर जवानों को नमन
इस वर्ष महाआरती के दौरान कई वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिनमें अमर बलिदानी अरविंद कुमार यादव, सुनील कुमार पांडेय, रितेश कुमार सिंह, इंद्रभूषण सिंह और 11वीं बटालियन NDRF के राम बहादुर सिंह शामिल हैं। साथ ही, पहलगाम हमले में शहीद हुए जवानों को भी नमन किया जाएगा।
लाइव टेलीकास्ट और सुरक्षा व्यवस्था
भक्त संस्था के आधिकारिक यूट्यूब चैनल @gangaaartigangasevanidhi2261 पर महाआरती का लाइव प्रसारण देख सकेंगे। आयोजकों ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए घाटों पर 24 सीसीटीवी कैमरे, 150 वॉलंटियर, और 100 स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। इसके अलावा राजकीय चिकित्सालय की टीम, एम्बुलेंस, और 11वीं वाहिनी NDRF की वाटर एम्बुलेंस भी तैनात की जाएगी।