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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, वाराणसी के लाटशाही बाबा की मजार पर ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर लगाई रोक

 

वाराणसी। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सर्किट हाउस के पास स्थित हज़रत मुख्तार अली शाह उर्फ लाटशाही बाबा की मजार को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है। अदालत ने मजार के ध्वस्तीकरण और बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह रोक तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक याची की आपत्ति पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता।

कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि नोटिस जारी करने के क्षेत्राधिकार से जुड़ी आपत्ति पर एक माह के भीतर फैसला सुनाया जाए।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दिया आदेश

यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने मजार वक्फ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
अदालत ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि याची को अपनी आपत्तियाँ दर्ज करने और सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।

दो दिन में अतिक्रमण हटाने का नोटिस विवाद का कारण

मजार पक्ष की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि लोक निर्माण विभाग (PWD), वाराणसी के सहायक अभियंता ने मजार को लेकर नोटिस जारी किया था, जिसमें सिर्फ दो दिन में सड़क से कथित अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था।

यह नोटिस लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत जारी की गई थी, जबकि याची का कहना है कि यह मामला उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जा बेदखली) अधिनियम के दायरे में आता है। इस कानून के तहत केवल सक्षम अधिकारी को कार्रवाई करने का अधिकार है, और उसे न्यायसंगत प्रक्रिया (Natural Justice) का पालन करना आवश्यक है।

कोर्ट ने कहा- याची को सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नोटिस में केवल दो दिन का समय दिया गया है, जो न तो पर्याप्त है और न ही न्यायसंगत। याची को आपत्ति दाखिल करने और सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो कि उचित प्रक्रिया का उल्लंघन है। इसलिए कोर्ट ने कहा कि याची को आपत्ति प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए और संबंधित अधिकारी एक माह के भीतर क्षेत्राधिकार से जुड़ी आपत्ति पर निर्णय लें।