छठ से पहले काशी के घाटों पर 'नाम लिखो, जगह घेरो' ट्रेंड, मिट्टी की बेदी बनाकर लिख दिया पुलिस
वाराणसी। लोक आस्था का महापर्व डाला छठ अब बस एक दिन दूर है। 25 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे इस पावन पर्व को लेकर बनारस के गंगा घाटों पर रौनक बढ़ गई है। श्रद्धालु सुबह-शाम अपने पूजन स्थलों को सुरक्षित करने में जुटे हैं। कहीं मिट्टी का घेरा बन रहा है, तो कहीं बांस-बल्ली गाड़कर पूजा की जगह चिन्हित की जा रही है।
घाटों पर ‘नाम लिखो, जगह घेरो’ का चलन तेज
बीएलडब्ल्यू, सामनेघाट, भैंसासुर, अस्सी से लेकर आदिकेशव घाट तक एक जैसी तस्वीर देखने को मिल रही है। श्रद्धालु अपने परिवार के साथ घाट किनारे पहुंचकर मिट्टी की बेदी बनाते हैं और उस पर नाम लिख देते हैं, ताकि पूजा के समय जगह को लेकर कोई विवाद न हो।
काशी का प्रसिद्ध अस्सी घाट भी अब ‘घेराबंदी’ के माहौल में तब्दील हो चुका है। श्रद्धालु बांस और रस्सियों की मदद से अपनी पूजा स्थली सुरक्षित कर रहे हैं। कई जगह लोगों ने मिट्टी के घेरे बनाकर अपने नाम लिख दिए हैं, जिससे स्पष्ट हो सके कि वह स्थान अब उनके पूजन के लिए आरक्षित है।
भक्त बबीता ने बताया कि घाटों पर भारी भीड़ के कारण वे एक दिन पहले ही बेदी तैयार कर लेती हैं। पिछले दस वर्षों से वे छठ व्रत कर रही हैं और अब घाटों पर व्यवस्थाएं पहले से काफी बेहतर हैं।
वहीं सुमन तिवारी ने कहा कि वे पिछले 32 वर्षों से छठ व्रत कर रही हैं। उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया, “छठ मइया की कृपा से ही मेरा बेटा हुआ। जो भी मांगा, उन्होंने पूरा किया।” सुमन के अनुसार, अब घाटों की सफाई, रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है।वाराणसी। लोक आस्था का महापर्व डाला छठ अब बस एक दिन दूर है। 25 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे इस पावन पर्व को लेकर बनारस के गंगा घाटों पर रौनक बढ़ गई है। श्रद्धालु सुबह-शाम अपने पूजन स्थलों को सुरक्षित करने में जुटे हैं। कहीं मिट्टी का घेरा बन रहा है, तो कहीं बांस-बल्ली गाड़कर पूजा की जगह चिन्हित की जा रही है।