BHU में पीएचडी छात्रों का धरना: इतिहास विभाग पर भेदभाव और अनियमितता के आरोप
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पीएचडी शोधार्थियों ने अनियमितता, मानसिक उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव के आरोप लगाते हुए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। छात्रों का कहना है कि प्रवेश के कई महीने बाद उन्हें जबरन संबद्ध महाविद्यालयों में भेजा गया।
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के केंद्रीय कार्यालय पर इतिहास विभाग के पीएचडी शोधार्थियों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। सत्र 2024–25 के इन शोधार्थियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके साथ अनियमितता, मानसिक उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव किया है। बीते तीन दिनों से छात्र केंद्रीय कार्यालय के गेट पर नारेबाजी कर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं।
धरना दे रहे सभी छात्र इतिहास विभाग के वे पीएचडी शोधार्थी हैं, जिनका चयन आरईटी (RET) श्रेणी के अंतर्गत हुआ था। छात्रों के अनुसार, उन्होंने 23 मार्च 2025 को मुख्य परिसर (DMC) में पीएचडी प्रवेश के लिए निर्धारित शुल्क जमा किया था। इसके बावजूद करीब सात महीने बाद, 25 अक्टूबर 2025 को जारी की गई प्रवेश सूची में 43 सीटों में से आरईटी श्रेणी की 28 सीटों में 13 छात्रों को संबद्ध महाविद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया गया।
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के अन्य विभागों में अभ्यर्थियों की सहमति (कंसेंट) के आधार पर डीएमसी आवंटन किया गया, लेकिन इतिहास विभाग में उनकी मांगों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। इस निर्णय के कारण छात्र पिछले दस महीनों से मानसिक तनाव, शैक्षणिक नुकसान और भेदभाव का सामना कर रहे हैं।
छात्रों की प्रमुख मांगें
1. जिन अभ्यर्थियों ने डीएमसी में शुल्क जमा किया है, उन्हें मुख्य परिसर (DMC) में ही रखा जाए।
2. प्रवेश के 10 माह बाद संबद्ध महाविद्यालयों में किया गया स्थानांतरण तत्काल निरस्त किया जाए।
3. मांगों के समाधान तक पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाई जाए।
धरना दे रहे शोधार्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।