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कॉमनवेल्थ विजेता अमित पंघाल व पूजा सिहाग काशी पहुंचे, जज्बा हो तो कद छोटा नहीं पड़ता

 

वाराणसी। दो कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार पदक जीत चुके हरियाणा के स्टार मुक्केबाज अमित पंघाल और फ्रीस्टाइल कुश्ती खिलाड़ी पूजा सिहाग ने रविवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एंफीथियेटर मैदान में साई सेंटर के युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा दी।

अमित पंघाल ने कहा कि अगर खेल का जुनून है तो खिलाड़ी की कम लंबाई कभी बाधा नहीं बन सकती। खेल में लंबाई नहीं, जज्बा और तकनीक मायने रखते हैं। खिलाड़ी अपनी स्किल और रणनीति से छोटे कद को ताकत में बदल सकता है। उन्होंने बताया कि विदेशी कोच से आधुनिक तकनीक सीखी जा सकती है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों में स्थानीय कोच खिलाड़ियों को ज्यादा बेहतर निखार सकते हैं।

अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए अमित ने कहा कि बचपन में वे काफी कमजोर थे। उनके बड़े भाई अजय पंघाल मुक्केबाजी करते थे। कोच अनिल धनखड़ के रिंग में भाई को देखते-देखते 2007 में भाई ने बहाने से उन्हें भी रिंग में उतार दिया। इसके बाद वे भाई के साथ अभ्यास करने लगे। 2010 में जूनियर लेवल पर पहला पदक जीता, 2012 में दूसरा और 2018 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक हासिल किया। 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। फाइनल में इंग्लैंड के लंबे कद के मुक्केबाज के खिलाफ रणनीति बनाई थी – या तो उनके बहुत पास रहना है या उनकी पहुंच से पूरी तरह दूर। इसी रणनीति से जीत हासिल की और दर्शक उनके समर्थन में खूब हूटिंग कर रहे थे।

कार्यक्रम में फ्रीस्टाइल कुश्ती खिलाड़ी पूजा सिहाग ने भी अपना संघर्ष साझा किया। उन्होंने बताया कि 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स देखकर ही उन्होंने खेल का सफर शुरू किया था। लड़की होने की वजह से घरवालों से लेकर पड़ोसियों तक हर तरफ ताने सुनने पड़ते थे। लोग कहते थे कि कुश्ती लड़कियों का खेल नहीं है। लेकिन मेहनत और लगन से पदक जीतकर सबको करारा जवाब दिया। आज वही लोग अपनी बेटियों को खेल के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। पदक ने न सिर्फ मुकाम दिलाया बल्कि समाज की सोच भी बदली।