अप्पाजी का घर बनेगा सांस्कृतिक केंद्र: गिरिजा देवी की विरासत अब रूपवाणी के सुरों में जिंदा
Varanasi: सांस्कृतिक संस्था रूपवाणी ने पद्म विभूषण गिरिजा देवी के नाटीइमली स्थित आवास को खरीदकर उसे सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की पहल की है। यहां नाट्याभ्यास, संगीत कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और पॉडकास्ट स्टूडियो बनाए जाएंगे, ताकि अप्पाजी की ठुमरी और बनारसी संगीत परंपरा जीवंत बनी रहे।
Varanasi: पूरब अंग की प्रसिद्ध गायिका और पद्म विभूषण से सम्मानित विदुषी गिरिजा देवी (अप्पाजी) का नाटीइमली स्थित घर अब संस्कृति और संगीत साधना का केंद्र बनेगा। सांस्कृतिक संस्था ‘रूपवाणी’ ने उनके इस आवास को खरीदकर यहां एक सांस्कृतिक केंद्र विकसित करने की पहल शुरू कर दी है। संस्था ने घर की साफ-सफाई और शुरुआती तैयारी का काम भी शुरु कर दिया है।
रूपवाणी संस्था अपने प्रसिद्ध नाटकों जैसे राम की शक्ति पूजा और कामायनी के लिए जानी जाती है। अब यह संस्थान अप्पाजी के इस ऐतिहासिक आवास को संगीत, रंगमंच और संवाद की एक जीवंत प्रयोगशाला में बदलने जा रहा है।
यह वही घर है, जहां से सुनंदा शर्मा, मालिनी अवस्थी, रीता देव, राहुल और रोहित मिश्र जैसे नामचीन कलाकारों ने गिरिजा देवी के सान्निध्य में संगीत की साधना की और देश-दुनिया में बनारस घराने की ठुमरी का परचम लहराया।
रूपवाणी प्रमुख व्योमेश शुक्ल ने बताया कि यह केंद्र अप्पाजी के योगदान के अनुरूप एक प्रधान सांस्कृतिक स्थल के रूप में विकसित होगा। यहां रूपवाणी के नाटकों का नियमित पूर्वाभ्यास और कार्यशालाएं, संगीत बैठकी और गूढ़ संगीत विषयों पर व्याख्यान और संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।
इसके साथ ही, केंद्र में तकनीकी रूप से पॉडकास्ट स्टूडियो भी तैयार किया जाएगा, जहां विशेषज्ञों के साथ संवाद और संगीत की रिकॉर्डिंग की जाएगी।
हाल ही में गिरिजा देवी की बेटी और विधिक उत्तराधिकारी, प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना सुधा दत्ता, कोलकाता से काशी पहुंचीं, जहां उन्होंने रूपवाणी टीम के साथ आवास क्रय-विक्रय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस पहल से न केवल गिरिजा देवी की सांगीतिक विरासत को नया जीवन मिलेगा, बल्कि बनारस की सांस्कृतिक धारा को भी नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी।