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काशी गंगा महोत्सव 2025: हंसराज रघुवंशी के गायन से गूंजेंगे घाट, 1-4 नवंबर तक भव्य आयोजन

 

वाराणसी। देव दीपावली से पहले काशी के घाटों पर भक्ति रस की अनुपम धारा बहने वाली है। योगी सरकार के प्रयासों से आयोजित होने वाला काशी गंगा महोत्सव इस वर्ष 1 से 4 नवंबर तक माँ जान्हवी के पावन तट पर भव्य रूप धारण करेगा। नमो घाट और राजघाट पर देशभर के ख्यातिप्राप्त कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से काशी की सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। शास्त्रीय संगीत, भक्ति भजन, लोक गायन और पारंपरिक नृत्य का अद्भुत संगम इस महोत्सव की विशेषता रहेगा।

महोत्सव के अंतिम दिवस यानी 4 नवंबर को लोकप्रिय भजन गायक हंसराज रघुवंशी अपने मधुर भजनों से श्रोताओं को भक्ति भाव में डुबो देंगे। वहीं, पद्मश्री मालिनी अवस्थी 3 नवंबर को उत्तर भारत की लोक परंपराओं को अपने लोक गायन से जीवंत करेंगी। 2 नवंबर को पद्मश्री गीता चन्द्रन भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति देंगी। नमो घाट पर काशी सांसद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिता के विजेता कलाकार भी विविध प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे।

संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि चार दिवसीय इस उत्सव में गीत-संगीत, नृत्य और वादन की गंगा बहाई जाएगी। शाम 4 बजे से शुरू होने वाली प्रस्तुतियां लोक एवं शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों से घाटों को गुंजायमान करेंगी। पारंपरिक नृत्य शैलियों की झलक भी दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण होगी।

प्रमुख कलाकारों की दिनवार प्रस्तुतियां:

प्रथम दिन, 1 नवंबर:

- पं. माता प्रसाद मिश्र एवं पं. रविशंकर मिश्र: कथक युगल नृत्य

- कविता मोहन्ती: ओडिसी नृत्य

- विदुषी श्वेता दुबे: गायन

- विदुषी कमला शंकर: स्लाइड गिटार

- डॉ. रिपि मिश्र: शास्त्रीय गायन

- डॉ. दिवाकर कश्यप एवं डॉ. प्रभाकर कश्यप: उपशास्त्रीय गायन

- रवि शर्मा एवं समूह: ब्रज लोक नृत्य एवं संगीत

- पं. नवल किशोर मल्लिक: शास्त्रीय गायन

दूसरा दिन, 2 नवंबर:

- शिवानी शुक्ला: गायन

- प्रवीण उद्भव: तालयात्रा

- राजकुमार तिवारी उर्फ राजन तिवारी: गायन

- डॉ. अर्चना आदित्य महास्कर: गायन

- सवीर, साकार कलाकृति: पारंपरिक लोक नृत्य

- वन्दना मिश्रा: गायन

- प्रो. पं. साहित्य नाहर एवं डॉ. पं. संतोष नाहर: सितार एवं वायलिन जुगलबंदी

- ओम प्रकाश: भजन गायन

- पद्मश्री गीता चन्द्रन: भरतनाट्यम

तीसरा दिन, 3 नवंबर:

- मीना मिश्रा: गायन

- विशाल कृष्ण: कथक नृत्य

- दिव्या शर्मा: हिन्दुस्तानी खयाल गायकी

- राकेश कुमार: जनजातीय लोक नृत्य

- इन्दु गुप्ता: लोक गायन

- चेतन जोशी: बांसुरी वादन

- विदुषी कविता द्विवेदी: ओडिसी नृत्य

- पद्मश्री मालिनी अवस्थी: लोक गायन

चौथा दिन, 4 नवंबर:

- डॉ. शुभांकर डे: गायन

- डॉ. प्रेम किशोर मिश्र एवं साथी: सितार, सरोद जुगलबंदी व गायन

- राहुल रोहित मिश्र: शास्त्रीय गायन

- रूपन सरकार समन्ता: शास्त्रीय गायन

- वासुमती बद्रीनाथन: शास्त्रीय गायन

- शिवानी मिश्रा: कथक समूह नृत्य

- मानसी रघुवंशी: गायन

- हंसराज रघुवंशी: भजन गायन

यह आयोजन काशी की सांस्कृतिक समृद्धि को न केवल संरक्षित रखेगा बल्कि इसे वैश्विक पटल पर और मजबूत करेगा। पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य उत्सव का हिस्सा बनकर गंगा घाटों की दिव्यता का साक्षात्कार कर सकेंगे।