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मुंबई से किडनैप, वाराणसी में मिली ‘कश्वी’- यूट्यूबर के वायरल पोस्ट ने बच्ची को मां से मिलाया

मुंबई के CSMT स्टेशन से मई 2025 में अगवा हुई तीन वर्षीय बच्ची कश्वी छह माह बाद वाराणसी में इंटरनेट मीडिया और पुलिस की सतर्कता से परिवार से मिल गई। गुमशुदा पोस्ट वायरल होने पर पहचान संभव हुई। हालांकि बच्ची 13–14 दिन तक कहां रही, यह अब भी जांच का विषय है।
 

वाराणसी: मानवता और टेक्नोलॉजी का अनोखा संगम उस समय देखने को मिला, जब मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन से 20 मई 2025 को मां की गोद से अगवा हुई तीन वर्षीय बच्ची ‘कश्वी’ छह महीने बाद वाराणसी में अपने माता-पिता से मिल गई। बाल दिवस के दिन हुआ यह मिलन इंटरनेट मीडिया, पुलिस की सतर्कता और प्रशासनिक प्रयासों का जीवंत उदाहरण बन गया। इस अपहरण का मुकदमा 23 मई को मुंबई के माटा रामाबाई अंबेडकर मार्ग थाने में दर्ज किया गया था।

बच्ची के गायब होने के बाद मुंबई पुलिस ने 10 स्पेशल टीमों का गठन किया और स्टेशन के सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले। कई वीडियो में बच्ची को ले जाते हुए कुछ झलकियां मिलीं, लेकिन अपहरणकर्ता की पहचान उजागर नहीं हो सकी। इस बीच दो जून को बच्ची वाराणसी के फुलवारिया में राधा देवी को अकेली भटकती मिली, जिन्होंने उसे कैंट थाने पहुंचाया। बच्ची बेहद छोटी थी, इसलिए वह अपना या परिवार का नाम भी नहीं बता पाई।

थाना प्रभारी इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र और दारोगा संजना कुमारी ने बच्ची को सांत्वना दी और उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सौंपा गया, जहां उसका नाम ‘कश्वी’ रखा गया। इसके बाद उसे वनिता विश्राम गृह भेजा गया, जहां रानी रामकुमारी ने उसकी देखभाल की। हालांकि वह अक्सर अपने माता-पिता को याद कर रोती थी।

इस बीच नवंबर में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने गुमशुदा और बरामद बच्चों के पोस्टर सभी थानों में लगाने का अभियान चलाया। यही पोस्टर इंटरनेट मीडिया और इंस्टाग्राम पर वायरल हो गए। वाराणसी के एक यूट्यूबर ने कश्वी की तस्वीर देखकर तुरंत मुंबई पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद जांच फिर से तेजी से आगे बढ़ी।

13 नवंबर को मुंबई पुलिस की टीम वाराणसी पहुंची और वीडियो कॉल के जरिए माता-पिता ने कश्वी की पहचान की। बच्ची के शरीर पर मौजूद कुछ खास निशानों ने पहचान की पुष्टि कर दी। 14 नवंबर को सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं और कश्वी को परिवार को सौंप दिया गया।

हालांकि अभी भी यह बड़ा सवाल है कि बच्ची दो जून से पहले 13–14 दिनों तक कहां और किसके साथ रही, और उसे क्यों अगवा किया गया। मुंबई पुलिस अब इन बिंदुओं पर आगे की जांच कर रही है।

इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र ने कहा कि पुलिस हर ऐसे बच्चे की चिंता करती है जो थाने तक पहुंचते हैं, और प्रयास होता है कि वे अपने परिवार से मिल जाएं। इस बार पोस्टर अभियान और सोशल मीडिया की तेज पहुंच ने सचमुच एक अनोखा चमत्कार कर दिखाया।