मनरेगा नहीं तो वोट नहीं! वाराणसी में केंद्र सरकार के खिलाफ मजदूरों का एलान
वाराणसी: केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा कानून में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में शुक्रवार, 19 दिसंबर 2025 को साझा संस्कृति मंच के नेतृत्व में शास्त्री घाट, वरुणापुल कचहरी पर जनसभा आयोजित की गई। जनसभा में ग्रामीण मजदूरों, किसानों, महिलाओं और सामाजिक संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया और नए विधेयक को मजदूर-विरोधी बताते हुए जोरदार विरोध दर्ज कराया।
सभा के दौरान वक्ताओं ने मनरेगा का नाम बदलकर उसके अधिकार-आधारित स्वरूप को समाप्त करने के प्रयासों पर कड़ा ऐतराज जताया। प्रदर्शनकारियों ने VB-G RAM-G बिल की प्रतियां जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। इसके बाद मजदूरों, किसानों और महिलाओं ने रैली निकालकर जिला मुख्यालय तक मार्च किया और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी वाराणसी को सौंपा।
वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2005 में लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए संवैधानिक और कानूनी अधिकार है। इसे कमजोर करने का प्रयास सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और संविधान प्रदत्त अधिकारों पर सीधा हमला है।
सभा में यह भी याद दिलाया गया कि कोविड-19 जैसी आपदा के दौरान मनरेगा के तहत 389 करोड़ व्यक्ति-दिवस का रोजगार सृजित हुआ, जिससे लाखों परिवारों को भुखमरी से बचाया जा सका। वक्ताओं का आरोप था कि नया VB-G RAM-G विधेयक मनरेगा की मूल भावना को पलट देता है, क्योंकि इसमें रोजगार को सीमित बजट और केंद्र सरकार की अधिसूचना पर निर्भर कर दिया गया है।
वक्ताओं ने चिंता जताई कि यह विधेयक 26 करोड़ पंजीकृत और 12.6 करोड़ सक्रिय मजदूरों को प्रभावित करेगा, लेकिन इसे मजदूर संगठनों, ग्राम सभाओं और राज्य सरकारों से बिना किसी लोकतांत्रिक परामर्श के लाया गया है। इसे 73वें संविधान संशोधन को कमजोर करने और सत्ता के केंद्रीकरण का प्रयास बताया गया।
ज्ञापन में प्रमुख मांगें
• मनरेगा कानून में महात्मा गांधी का नाम यथावत रखा जाए
• नए विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए
• अधिसूचना के जरिए काम सीमित करने की व्यवस्था खत्म की जाए
• खेती के मौसम में 60 दिन का “ब्लैकआउट पीरियड” हटाया जाए
• बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण अनिवार्य न किया जाए
• मजदूरी का बोझ राज्यों पर डालने की नीति वापस ली जाए
• पंचायतों की स्वायत्तता बहाल की जाए
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि इस जन-विरोधी विधेयक को वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
जनसभा और मार्च के दौरान मनरेगा से गांधी का नाम नहीं हटेगा, रोजगार गारंटी लागू करो, मनरेगा का बजट बढ़ाओ, कॉर्पोरेट राज वापस जाओ जैसे नारे लिखे प्लेकार्ड आकर्षण का केंद्र रहे। इस आंदोलन में आशा राय, अनिता, सोनी, मनीषा, रेनू, सरोज, वंदना, पूजा, झुला रामजनम, अफलातून, डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी, नंदलाल मास्टर सहित सैकड़ों मेहनतकश नागरिक शामिल रहे।