{"vars":{"id": "130921:5012"}}

मानवाधिकार दिवस पर विशाल मानव श्रृंखला, महिला हिंसा-बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

 

वाराणसी I अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आशा ट्रस्ट और लोक समिति के बैनर तले बेनीपुर बाजार में हजारों ग्रामीणों, छात्र-छात्राओं और महिलाओं ने एक किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर जोरदार प्रदर्शन किया। बेनीपुर मुख्य बाजार से कल्लीपुर तक सड़क के दोनों किनारों पर खड़े लोगों ने एक स्वर में नारे लगाए – “चुप नहीं रहना है, हिंसा नहीं सहना है”, “बाल विवाह बंद करो”, “महिला हिंसा बंद करो”, “दहेज प्रथा पर रोक लगाओ”, “यौन हिंसा बंद करो”।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने कहा कि गरीबों, दलितों और महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा, शोषण और गैर-बराबरी के खिलाफ सबको एकजुट होकर लड़ना होगा। उन्होंने कहा, “हिंसा एक छोटा शब्द है लेकिन इसका दायरा बहुत बड़ा है। महिलाओं और मजदूरों के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए हमें कानून की जानकारी रखनी होगी और सामूहिक रूप से आगे आना होगा।”

दिहाड़ी मजदूर संगठन के संयोजक रामबचन ने पुलिसिया ज्यादतियों और गिरफ्तारी के कानूनी अधिकारों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस बिना वजह किसी को थाने नहीं रोक सकती, गिरफ्तारी की सूचना देनी होती है, 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है, गिरफ्तार व्यक्ति को अपने परिजनों से बात करने का अधिकार है तथा पूछताछ के दौरान पुलिसकर्मी को वर्दी और नेमप्लेट लगाना जरूरी है। खासकर महिलाओं के साथ किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मानव श्रृंखला में मां कंचन देवी जूनियर हाई स्कूल, भारतीय शिक्षा निकेतन, परम हंस स्कूल, आशा सामाजिक स्कूल के सैकड़ों बच्चे, नागेपुर व बेनीपुर के किशोरी सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की लड़कियां तथा ग्रामीण क्षेत्र की महिला स्वयं सहायता समूहों की सैकड़ों महिलाएं शामिल हुईं।

कार्यक्रम में धीरेंद्र प्रताप, विजेंद्र प्रताप, पुष्पेंद्र प्रताप, नंदलाल मास्टर, रामबचन, अनीता, सुनीता वर्मा, अब्दुल रहमान, राजकुमार मौर्य, रुखसाना बानो, अरविंद, संगीता सोनी, आशा, मनीषा, मधुबाला, सुनील मास्टर, श्यामसुंदर, सीमा, मनीष, शिवकुमार सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का नेतृत्व नंदलाल मास्टर ने और संचालन रामबचन ने किया। प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और लोगों में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता का संदेश गूंजता रहा।