वाराणसी: बच्चा चोरी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में 7 लोग दोषी, राजस्थान-झारखंड तक फैला है गैंग
वाराणसी: वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बच्चा चोरी और ह्यूमन ट्रैफिकिंग में शामिल गिरोह के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद गिरोह के 7 सदस्यों को दोषी करार देते हुए उनके खिलाफ सजा तय करने की तारीख 24 नवंबर निर्धारित की है। वहीं, संदेह का लाभ देते हुए 8 आरोपियों को किसी भी धारा में दोषी नहीं पाया गया।
16 आरोपियों के खिलाफ दायर हुई थी चार्जशीट
पूरे मामले में पुलिस ने कुल 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से 10 आरोपियों को झारखंड, राजस्थान और वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने उनकी निशानदेही पर तीन अगवा किए गए बच्चों को बरामद किया। गिरोह में मास्टरमाइंड सहित तीन महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस ने बच्चे को अगवा करने में इस्तेमाल कार भी बरामद कर सीज कर दी।
ऐसे सामने आया मामला
यह पूरा मामला 14 मई की रात उस समय सामने आया जब भेलूपुर क्षेत्र के रवींद्रपुरी स्थित रामचंद्र शुक्ल चौराहे पर माता-पिता के साथ सो रहे चार वर्षीय बच्चे को कार सवार बदमाश उठा ले गए। दो दिन तक बच्चे के माता-पिता स्वयं उसकी तलाश करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इसी दौरान दरोगा शिवम श्रीवास्तव को मामले की जानकारी मिली। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो पता चला कि बच्चा कार सवारों ने ही उठाया है। फुटेज के आधार पर वाहन का नंबर मिला और पुलिस कार मालिक तक पहुंची। जांच में पता चला कि वाहन किराए पर दिया गया था और इस घटना में मालिक की कोई भूमिका नहीं थी।
ड्राइवर और साथी की पहचान
जांच में मंडुआडीह निवासी कार चालक संतोष गुप्ता और उसका साथी विनय मिश्रा गिरफ्तार किए गए। विनय ने ही मौके से बच्चा उठाया था। पूछताछ में पता चला कि गिरोह बच्चों को अगवा कर राज्य के बाहर बेच देता था।
राजस्थान–झारखंड गैंग का लिंक
पुलिस के अनुसार यह गिरोह बच्चों को राजस्थान, झारखंड और बिहार में दलालों के माध्यम से निसंतान दंपतियों या जरूरतमंद लोगों को 2 से 5 लाख रुपये में बेचते थे। इस रकम को गैंग के सदस्य आपस में बांट लेते थे।
झारखंड के हजारीबाग से यशोदा देवी को एक बच्चे के साथ गिरफ्तार किया गया। यह बच्चा विंध्याचल से अगवा किया गया था। पुलिस उसकी बहन की तलाश भी कर रही है। वहीं, राजस्थान के भीलवाड़ा से भंवरलाल को गिरफ्तार किया गया, जिस पर सात बच्चों को अगवा करने की जानकारी सामने आई। कोर्ट ने उपलब्ध गवाहों, साक्ष्यों और पुलिस चार्जशीट के आधार पर 7 आरोपियों को दोषी पाया, जबकि 24 नवंबर को सभी को सजा सुनाई जाएगी।