फर्जी लाइसेंस, करोड़ों का सौदा… कफ सिरप गैंग के दो सदस्य कोलकाता से गिरफ्तार, वाराणसी लाए गए
वाराणसी कफ सिरप तस्करी मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। कोलकाता से दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार किए गए, जिन्हें अदालत से 72 घंटे का ट्रांजिट रिमांड मिला है। ये आरोपित फर्जी दस्तावेज़ों पर ड्रग लाइसेंस लेकर करोड़ों की कोडीनयुक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री करते थे। पुलिस अब इन्हें वाराणसी लाकर पूछताछ करेगी।
वाराणसी: कफ सिरप तस्करी मामले में पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए दो आरोपियों को पश्चिम बंगाल के कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपियों को कोलकाता की अदालत में पेश कर 72 घंटे का ट्रांजिट रिमांड प्राप्त किया गया है। अब इनको वाराणसी लाने की तैयारी अंतिम चरण में है।
कफ सिरप तस्करी का बड़ा खुलासा
थाना कोतवाली में दर्ज NDPS Act की गंभीर धाराओं के तहत यह कार्रवाई की गई है। जांच में यह बात सामने आई है कि दोनों आरोपी-प्रतीक मिश्रा और विशाल कुमार सोनकर—कफ सिरप माफिया नेटवर्क के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कर ड्रग लाइसेंस बनवाए और करोड़ों की कोडीनयुक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री की।
पुलिस के अनुसार, इन फर्मों के माध्यम से लाखों शीशियाँ कफ सिरप झारखंड स्थित शैली ट्रेडर्स से खरीदी गईं और फिर भारी मुनाफे पर बेची गईं। तस्करी की इस पूरी श्रृंखला का मास्टरमाइंड वाराणसी का शुभम जायसवाल बताया जा रहा है, जो अब भी फरार है।
पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि शुभम जायसवाल ने ही उन्हें यह अवैध कारोबार करने के लिए तैयार किया था। उनके बैंक खातों, ई-वे बिल और लेनदेन पर शुभम के लोगों का सीधा नियंत्रण था। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके नाम पर बनाई गई फर्में सिर्फ दिखावटी थीं, जबकि असली माल कहीं और भेजा जाता था। दोनों ने माना कि करीब 7–8 करोड़ रुपये का अवैध व्यापार इनके माध्यम से हुआ।
कोलकाता से वाराणसी लाने की तैयारी पूरी
दोनों आरोपियों को 7 दिसंबर को कोलकाता में गिरफ्तार किया गया। स्थानीय अदालत से ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद अब इन्हें वाराणसी लाने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि शहर पहुँचने के बाद इनसे गहन पूछताछ कर कफ सिरप नेटवर्क के और बड़े नामों का पर्दाफाश किया जाएगा। पुलिस टीम में एसओजी प्रभारी गौरव सिंह, निरीक्षक विजय यादव सहित कई अधिकारी शामिल थे।