Varanasi: दुर्गा पूजा पंडालों का ब्लैकआउट, 512 पंडाल आज एक घंटे के लिए बंद करेंगे लाइटें
Varanasi: धर्मनगरी काशी में शारदीय नवरात्र की धूम शुरू हो चुकी है। आज से शहर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों में विधिवत पूजन-अर्चन के साथ भक्तों के लिए दर्शन शुरू हो जाएंगे। इस बीच, गंगा में दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर लगी रोक के खिलाफ इस बार बड़ा विरोध प्रदर्शन होने जा रहा है।
केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के आह्वान पर Varanasi के सभी 512 पंजीकृत दुर्गा पूजा पंडाल सप्तमी के दिन शाम 6 से 7 बजे तक अपनी लाइटें बंद रखेंगे। समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि इस दौरान मोबाइल की टॉर्च जलाकर इस आंदोलन का समर्थन करें। शहर की प्रमुख पूजा समितियों ने भी इस फैसले पर सहमति जताई है।
गंगा विसर्जन पर रोक से नाराजगी
केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलक राज मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2010 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर 2015 में हाईकोर्ट ने गंगा में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगा दी थी। तब से प्रतिमाओं का विसर्जन कुंडों, तालाबों और कृत्रिम तालाबों में किया जा रहा है। मिश्रा ने कहा कि कई बार विरोध प्रदर्शन हुए, लोग जेल भी गए, लेकिन इस मसले का कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
इस बार Varanasi नगर निगम ने विसर्जन के लिए तय कुछ कुंडों और तालाबों को सूची से हटा दिया है, जिससे पूजा समितियों के सामने परंपरागत विसर्जन मार्ग बदलने की चुनौती है। उन्होंने कहा, “परंपरा का सम्मान करने की बात तो की जाती है, लेकिन अनुमति सीमित जगहों की है, जिससे दिक्कतें बढ़ेंगी।”
प्राकृतिक रंगों वाली प्रतिमाओं पर सवाल क्यों?
तिलक मिश्रा ने बताया कि Varanasi में मां दुर्गा की प्रतिमाएं पुआल, मिट्टी और खाने योग्य प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती हैं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं। इसके बावजूद गंगा में विसर्जन पर रोक लगाना समझ से परे है। समिति की मांग है कि कोर्ट गंगा में विसर्जन की अनुमति दे और प्रशासन यह व्यवस्था करे कि मिट्टी गलने के बाद पुआल और लकड़ी को बाहर निकाला जाए।
आंदोलन की चेतावनी
केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति ने स्पष्ट किया है कि इस साल विसर्जन कुंडों और तालाबों में ही होगा, लेकिन भविष्य में गंगा विसर्जन की अनुमति के लिए कोर्ट का रुख किया जाएगा। इसी कड़ी में सप्तमी के दिन एक घंटे का Varanasi में ब्लैकआउट विरोध आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी पंडाल अपनी लाइटें बंद रखेंगे। यह आंदोलन गंगा विसर्जन की अनुमति की मांग को और मजबूती देगा।