Varanasi : कूड़ा और सीवर ने छीनी वरूणा नदी की सांस, सैकड़ों मछलियां मरीं, ऑक्सीजन लेवल हुआ खतरनाक
Oct 31, 2025, 13:27 IST
वाराणसी। वरुणा नदी एक बार फिर प्रदूषण की मार झेल रही है। नदी के नक्खी घाट से पुराने पुल तक के हिस्से में सैकड़ों छोटी मछलियाँ मरी हुई पाई गईं। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के अनुसार, विघटित ऑक्सीजन (D.O.) का स्तर नदी में बेहद खतरनाक स्तर 0.4 से 0.5 मिग्रा/लीटर तक गिर गया है, जबकि मछलियों के जीवित रहने के लिए यह स्तर कम से कम 2 PPM होना चाहिए।
सीवर और कूड़े से बढ़ा जहर
सर्वेक्षण में पाया गया कि वरुणा नदी के दोनों तटों पर बने नालों के इंटरसेप्टर क्रियाशील नहीं हैं, जिसके चलते शहर का सीवर सीधे नदी में गिर रहा है। इसके कारण नदी का पानी काला और बदबूदार हो गया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मत्स्य पालन विकास अभिकरण ने बताया कि ‘बीड फिश’ प्रजाति की छोटी मछलियाँ जैसे चेलवा, पुठिया, गिरही और बाटा सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं।
बारिश और सीवर दोनों ने घटाया ऑक्सीजन लेवल
बीते 2-3 दिनों से मौसम में लगातार बादल छाए रहने और बारिश के कारण पानी में ऑक्सीजन का स्तर और घट गया, वहीं सीवर के प्रदूषित जल से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से मछलियों की सांसें थम गईं। अधिकारियों ने यह भी पाया कि लोग ओवरब्रिज से पूजा सामग्री और कूड़ा-कचरा नदी में फेंक रहे हैं, जिससे जल और अधिक दूषित हो रहा है।
प्रदूषण रोकने के उपाय
प्रदूषण विभाग ने सुझाव दिया है कि नक्खी घाट क्षेत्र में लगभग 1 किलोमीटर तक 20-25 टन बुझा चूना (Lime Powder) का छिड़काव कराया जाए, जिससे पानी की अम्लता घटे और ऑक्सीजन का स्तर बढ़े। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि नदी की सतह से अपशिष्ट हटाने के लिए ट्रैश स्कीमर मशीनें रोजाना चलती हैं, साथ ही समय-समय पर एंटी-लार्वा कीटनाशक का छिड़काव भी किया जा रहा है।
क्या कहता है पर्यावरण विभाग
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो वरुणा नदी में मछलियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह पहली बार नहीं है जब वरुणा नदी में मछलियों की मौत की घटना सामने आई हो, लेकिन इस बार ऑक्सीजन की भारी कमी ने नदी के जलजीवों के लिए संकट की घंटी बजा दी है।
सीवर और कूड़े से बढ़ा जहर
सर्वेक्षण में पाया गया कि वरुणा नदी के दोनों तटों पर बने नालों के इंटरसेप्टर क्रियाशील नहीं हैं, जिसके चलते शहर का सीवर सीधे नदी में गिर रहा है। इसके कारण नदी का पानी काला और बदबूदार हो गया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मत्स्य पालन विकास अभिकरण ने बताया कि ‘बीड फिश’ प्रजाति की छोटी मछलियाँ जैसे चेलवा, पुठिया, गिरही और बाटा सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं।
बारिश और सीवर दोनों ने घटाया ऑक्सीजन लेवल
बीते 2-3 दिनों से मौसम में लगातार बादल छाए रहने और बारिश के कारण पानी में ऑक्सीजन का स्तर और घट गया, वहीं सीवर के प्रदूषित जल से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से मछलियों की सांसें थम गईं। अधिकारियों ने यह भी पाया कि लोग ओवरब्रिज से पूजा सामग्री और कूड़ा-कचरा नदी में फेंक रहे हैं, जिससे जल और अधिक दूषित हो रहा है।
प्रदूषण रोकने के उपाय
प्रदूषण विभाग ने सुझाव दिया है कि नक्खी घाट क्षेत्र में लगभग 1 किलोमीटर तक 20-25 टन बुझा चूना (Lime Powder) का छिड़काव कराया जाए, जिससे पानी की अम्लता घटे और ऑक्सीजन का स्तर बढ़े। अपर नगर आयुक्त ने बताया कि नदी की सतह से अपशिष्ट हटाने के लिए ट्रैश स्कीमर मशीनें रोजाना चलती हैं, साथ ही समय-समय पर एंटी-लार्वा कीटनाशक का छिड़काव भी किया जा रहा है।
क्या कहता है पर्यावरण विभाग
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो वरुणा नदी में मछलियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह पहली बार नहीं है जब वरुणा नदी में मछलियों की मौत की घटना सामने आई हो, लेकिन इस बार ऑक्सीजन की भारी कमी ने नदी के जलजीवों के लिए संकट की घंटी बजा दी है।