क्या ट्रंप सरकार ने कानून लांघा? H-1B वीजा शुल्क पर 19 राज्यों की अदालत में चुनौती
Dec 13, 2025, 12:02 IST
New Delhi: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से ही उनकी नीतियों को लेकर कानूनी विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में ट्रंप प्रशासन की एक अहम इमीग्रेशन नीति—H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर शुल्क वृद्धि—को लेकर 19 अमेरिकी राज्यों ने अदालत का रुख करने का फैसला किया है। इन राज्यों में कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, इलिनॉयस, मैसाचुसेट्स समेत कई डेमोक्रेटिक-शासित राज्य शामिल हैं।
शुल्क बढ़ोतरी को बताया अवैध
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बांटा ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाया गया नया H-1B वीजा शुल्क कानून का उल्लंघन है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि यह बढ़ा हुआ शुल्क शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों, शोधकर्ताओं और अन्य आवश्यक कर्मचारियों की भर्ती में बड़ी बाधा बन सकता है, जिससे कैलिफोर्निया समेत अन्य राज्यों की जरूरी सेवाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
मुकदमा कहां होगा दायर
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह मुकदमा शुक्रवार को मैसाचुसेट्स के एक फेडरल कोर्ट में दायर किया जाएगा। यह इस नीति के खिलाफ कम से कम तीसरी कानूनी चुनौती होगी। इससे पहले अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स और यूनियनों, नियोक्ताओं व धार्मिक संगठनों के एक गठबंधन ने भी इस शुल्क वृद्धि को अदालत में चुनौती दी थी।
क्या है विवादित नीति
अटॉर्नी जनरल कार्यालय के मुताबिक, यह शुल्क वृद्धि डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) द्वारा लागू की गई है, जो कांग्रेस द्वारा तय सीमा से कहीं अधिक है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि यह नीति H-1B प्रोग्राम के मूल उद्देश्य के खिलाफ है, आवश्यक नियम निर्माण प्रक्रिया को दरकिनार करती है और प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम (APA) के तहत कार्यकारी शाखा को दी गई शक्तियों से आगे जाती है। आम तौर पर H-1B वीजा के लिए नियोक्ताओं को 960 डॉलर से 7,595 डॉलर तक शुल्क देना होता है, लेकिन नया प्रस्तावित शुल्क वास्तविक लागत की तुलना में कहीं अधिक बताया जा रहा है।
प्रक्रियागत नियमों की अनदेखी का आरोप
राज्यों का आरोप है कि यह शुल्क वृद्धि बिना APA की ‘नोटिस और कमेंट’ प्रक्रिया अपनाए लागू की गई, जिससे इसके प्रभावों पर समुचित विचार नहीं हो सका। खासतौर पर सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थाओं पर इसका सीधा असर पड़ने की आशंका जताई गई है।
अटॉर्नी जनरल का बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रॉब बांटा ने कहा कि कोई भी राष्ट्रपति अपनी मर्जी से हमारे स्कूलों, अस्पतालों और विश्वविद्यालयों को अस्थिर नहीं कर सकता और न ही कांग्रेस, संविधान या कानून को नजरअंदाज कर सकता है।
मुकदमा दायर करने वाले राज्य
कैलिफोर्निया के अलावा मैसाचुसेट्स, एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉयिस, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवाडा, नॉर्थ कैरोलिना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वॉशिंगटन और विस्कॉन्सिन इस मुकदमे में शामिल हैं। इस कानूनी कार्रवाई का नेतृत्व कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बांटा और मैसाचुसेट्स की अटॉर्नी जनरल जॉय कैंपबेल कर रही हैं।