{"vars":{"id": "130921:5012"}}

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

 

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 80 वर्षीय खालिदा जिया लीवर सिरोसिस से पीड़ित थीं। उनके डॉक्टरों के मुताबिक, उन्हें गठिया, मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याएं भी थीं। उनके निधन की पुष्टि बीएनपी ने मंगलवार को की।

दो बार संभाली प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी

खालिदा जिया ने दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया। वह पहली बार 1991 से 1996 और दूसरी बार 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री रहीं। वह पूर्व राष्ट्रपति और बीएनपी के संस्थापक जियाउर रहमान की पत्नी थीं। उनके बड़े बेटे और बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारीक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे थे और हाल ही में बांग्लादेश लौटे थे, जबकि छोटे बेटे अराफात रहमान का 2015 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।

जेल से रिहाई के बाद इलाज के लिए लंदन गई थीं

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 6 अगस्त 2024 को खालिदा जिया को जेल से रिहा किया गया था। इसके बाद बेहतर इलाज के लिए वह लंदन गईं, जहां करीब चार महीने तक इलाज चला। 6 मई को वह वापस बांग्लादेश लौटी थीं, लेकिन उनकी तबीयत में लगातार गिरावट आती रही।

‘बैटल ऑफ बेगम्स’ से पहचानी गई राजनीति

बांग्लादेश की राजनीति लंबे समय तक दो प्रमुख नेताओं—अवामी लीग की नेता शेख हसीना और बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया—के इर्द-गिर्द घूमती रही। मीडिया ने इस प्रतिद्वंद्विता को ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ नाम दिया। 1990 के बाद हुए लगभग हर चुनाव में सत्ता या तो शेख हसीना के हाथ में रही या खालिदा जिया के।

राजनीति में ऐसे रखा कदम

खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ था और शुरुआत में उनका राजनीति से कोई सीधा नाता नहीं था। 1960 में उनकी शादी सैनिक अधिकारी जियाउर रहमान से हुई। 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के दौरान जियाउर रहमान ने रेडियो पर स्वतंत्रता की घोषणा पढ़ी थी। 1977 में वह राष्ट्रपति बने और उन्होंने ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 1981 में एक सैन्य विद्रोह के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

पति की हत्या के बाद बीएनपी कमजोर पड़ने लगी, जिसके बाद पार्टी नेताओं के आग्रह पर खालिदा जिया ने 1984 में पार्टी की कमान संभाली। 1991 के लोकतांत्रिक चुनाव में जीत दर्ज कर वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।