INDIA 2047 कॉन्क्लेव में बोले चिराग पासवान- डिप्टी CM की कोई शर्त नहीं, मैं सिर्फ PM मोदी की वजह से....
Dec 15, 2025, 13:22 IST
New Delhi : बिहार की राजनीति, आगामी पांच वर्षों की दिशा और गठबंधन की रणनीति को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने INDIA 2047 कॉन्क्लेव में अहम बयान दिए। उन्होंने बिहार में हालिया चुनावी जीत, एनडीए की एकजुटता और विपक्ष की स्थिति पर खुलकर अपनी राय रखी। इसके साथ ही कांग्रेस से कथित बैठक और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई को लेकर भी उन्होंने स्थिति स्पष्ट की।
बिहार की जीत पर बोले चिराग
चिराग पासवान ने कहा कि बिहार की चुनावी जीत में एनडीए की एकजुटता निर्णायक रही। उन्होंने कहा कि बिहार की जीत पर आरजेडी का पूरा सफाया हो गया है। आरजेडी बिखरी हुई एनडीए का लाभ उठा रही थी, लेकिन जब एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतरा तो परिणाम सबके सामने हैं। उन्होंने गठबंधन राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि अक्सर छोटे सहयोगी दलों को कम आंका जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक सांसद वाली पार्टी को पांच सीटें और शून्य विधायक वाली पार्टी को 29 सीटें दी गईं, जिनमें से 26 सीटों पर हार हुई।
डिप्टी सीएम या पद को लेकर कोई शर्त नहीं
चिराग पासवान ने साफ किया कि उन्होंने कभी भी डिप्टी मुख्यमंत्री या किसी अन्य पद को लेकर कोई शर्त नहीं रखी। उन्होंने कहा कि पहले भी मेरी कोई शर्त नहीं थी और आगे भी नहीं होगी। मैं इस गठबंधन में अपने प्रधानमंत्री की वजह से हूं। पीएम मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं।
कांग्रेस से बैठक की खबरों को किया खारिज
कांग्रेस से कथित बैठक के सवाल पर चिराग ने ऐसी सभी खबरों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि ऐसी कोई बैठक हुई है। जो लोग मुझे जानते हैं, वे ऐसा साहस नहीं कर पाएंगे। ऐसे नेरेटिव को छोड़ देना चाहिए।
नीतीश कुमार की अगुवाई पर स्पष्ट रुख
नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी को लेकर पूछे गए सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि यह जदयू का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि नीतीश जी का उत्तराधिकारी कौन होगा, यह उनकी पार्टी तय करेगी, लेकिन अगले पांच साल बिहार सरकार नीतीश कुमार की अगुवाई में ही चलेगी।
मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर क्या बोले चिराग
बिहार का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा से जुड़े सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि वे राजनीति में बिहार की वजह से आए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे चिंता होती है कि बिहारी को रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में क्यों जाना पड़ता है। तीसरी बार सांसद बनने के बाद यह समझ में आया कि ‘बिहार फर्स्ट’ और ‘बिहारी फर्स्ट’ के लिए बिहार जाना जरूरी है। उन्होंने अपनी पार्टी से भावनात्मक जुड़ाव जताते हुए कहा कि मेरे लिए मेरी पार्टी मेरी मां के समान है। मैंने विपरीत परिस्थितियों में पार्टी को संभाला है।