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भारत-ओमान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट आज, ट्रंप के टैरिफ हथियार का असर होगा कम

 
New Delhi : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही टैरिफ को अपना सबसे बड़ा हथियार बताते रहे हों, लेकिन भारत अब अपने व्यापारिक नुकसान को कम करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारत और ओमान के बीच आज, 18 दिसंबर 2025 को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक मस्कट में मुलाकात करेंगे, जहां इस ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा।
व्यापारिक रिश्तों को मिलेगा नया आयाम
इस समझौते से भारत और ओमान के बीच आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा। दोनों देशों के कारोबारियों को कई नए सेक्टरों में व्यापार के अवसर मिलेंगे। सरकार का मानना है कि यह डील भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति को गति देगी।
किन सेक्टरों को मिलेगा फायदा
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस एफटीए से जूते, कपड़े, ज्वेलरी, कृषि उत्पाद, वाहन, ऑटो कलपुर्जे और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बड़ा फायदा होगा। उन्होंने ओमान को अफ्रीका और मध्य एशिया के लिए “एंट्री गेट” बताया, जिससे भारतीय कारोबारियों को अन्य बाजारों तक पहुंच मिलेगी।
भारत-ओमान के बीच मौजूदा व्यापार
वर्तमान में भारत और ओमान के बीच कुल व्यापार करीब 10.5 अरब डॉलर का है। इसमें भारत का ओमान को निर्यात लगभग 4 अरब डॉलर और ओमान से आयात 6 अरब डॉलर से अधिक है। भारत मुख्य रूप से ओमान से पेट्रोलियम और यूरिया आयात करता है, जो कुल आयात का 70 प्रतिशत से ज्यादा है। वहीं भारत ओमान को खनिज ईंधन, केमिकल, अनाज, जहाज, विद्युत मशीनरी, चाय, कॉफी, मसाले, कपड़े और खाद्य उत्पाद निर्यात करता है।
पिछले वर्षों में कैसा रहा व्यापार
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत-ओमान द्विपक्षीय व्यापार 8.94 अरब डॉलर रहा था, जबकि 2022-23 में यह 12.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। 2023 में भारत ने ओमान से करीब 4 हजार करोड़ रुपये का कच्चा तेल खरीदा था।
ओमान का भारत के साथ बड़ा कदम
ओमान खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। ओमान ने इससे पहले 2006 में अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया था। करीब 20 साल बाद भारत के साथ यह समझौता ओमान की व्यापार नीति में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
लॉजिस्टिक एक्सेस एग्रीमेंट भी अहम
ओमान एकमात्र खाड़ी देश है, जिसके साथ भारत का लॉजिस्टिक एक्सेस एग्रीमेंट है। यह समझौता 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की ओमान यात्रा के दौरान हुआ था। इसके तहत भारतीय नौसेना और वायुसेना ओमान के रणनीतिक बंदरगाहों और सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल कर सकती हैं।
एक्सपर्ट्स की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-ओमान एफटीए से न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भारत की आर्थिक और रणनीतिक पकड़ भी मजबूत होगी। इससे अमेरिकी टैरिफ जैसी नीतियों के असर को संतुलित करने में भारत को मदद मिल सकती है।