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लोकसभा में पेश हुआ 'सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक 2025': बीमा क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति, पॉलिसीधारकों की सुरक्षा मजबूत

 

नई दिल्ली I वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में 'सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025' पेश किया। यह विधेयक बीमा क्षेत्र को मजबूत बनाने, पॉलिसीधारकों की सुरक्षा बढ़ाने और 2047 तक 'हर भारतीय को बीमा कवर' के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। विधेयक में बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और आईआरडीएआई अधिनियम 1999 में व्यापक संशोधन प्रस्तावित हैं।

विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता हमेशा आम जनता तक बीमा पहुंचाना रही है। कोविड महामारी के दौरान भी सरकार ने समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को बीमा सुरक्षा प्रदान की। इस विधेयक से बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी, तकनीक और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे बीमा पहुंच गहराई तक होगी।

विधेयक की पांच प्रमुख बातें:

1. बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI)  
वर्तमान में 74% की सीमा को बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव। इससे विदेशी कंपनियां पूर्ण स्वामित्व के साथ भारत में काम कर सकेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ेगा, आधुनिक तकनीक आएगी और नए उत्पाद भारतीय ग्राहकों तक पहुंचेंगे। हालांकि, कंपनी के प्रमुख पदों (चेयरमैन, एमडी या सीईओ) में से कम से कम एक पर भारतीय नागरिक की नियुक्ति अनिवार्य होगी।

2. एलआईसी को अधिक स्वायत्तता  
एलआईसी अधिनियम में संशोधन कर सरकारी कंपनी के बोर्ड को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। नए जोनल ऑफिस खोलने या विदेशी ऑपरेशंस के लिए सरकार की पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इससे एलआईसी निजी कंपनियों से तेजी से मुकाबला कर सकेगी।

3. एजेंट्स और इंटरमीडियरीज के लिए वन-टाइम रजिस्ट्रेशन  
बीमा एजेंट्स और मध्यस्थों को बार-बार लाइसेंस रिन्यूअल की झंझट से मुक्ति मिलेगी। यह 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देगा।

4. पॉलिसीधारकों के हितों की मजबूत सुरक्षा  
विधेयक का फोकस पॉलिसीधारकों की सुरक्षा पर है। नियम उल्लंघन पर भारी जुर्माना, दावों का तेज और पारदर्शी निपटारा तथा आईआरडीएआई को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। पॉलिसीधारक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना भी प्रस्तावित है।

5. विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों के लिए राहत  
विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों की 'नेट ओन्ड फंड' जरूरत को 5,000 करोड़ से घटाकर 1,000 करोड़ करने का प्रस्ताव। इससे री-इंश्योरेंस बाजार बड़ा होगा और जोखिम प्रबंधन बेहतर बनेगा।

सरकार का तर्क और विपक्ष की चिंताएं

सरकार का कहना है कि भारत में बीमा पहुंच वैश्विक औसत से कम है। 2047 तक सभी को बीमा कवर देने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है, जो 100% FDI से संभव होगा। इससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बल मिलेगा।

विपक्षी दलों और कुछ यूनियनों ने एलआईसी में सरकारी नियंत्रण कम होने तथा विदेशी कंपनियों के एकाधिकार की आशंका जताई है। विधेयक में घरेलू हितों की रक्षा के लिए प्रावधान शामिल हैं।

बाजार पर प्रभाव

इस विधेयक की खबर से बीमा कंपनियों (एलआईसी, एसबीआई लाइफ, एचडीएफसी लाइफ आदि) के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि ये सुधार अगले दशक में भारतीय बीमा क्षेत्र की तस्वीर बदल देंगे।