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उन्नाव दुष्कर्म केस: कुलदीप सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाईकोर्ट की जमानत पर लगी रोक

उन्नाव दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत मिलने से रोक दिया है। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट की जमानत पर रोक लगाते हुए एक सप्ताह में जवाब मांगा है। इससे पीड़िता को न्याय की नई उम्मीद मिली है।

 

उन्नाव दुष्कर्म केस: उन्नाव दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सेंगर को नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। फिलहाल सेंगर को जेल में ही रहना होगा।

दरअसल, सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें सेंगर को जमानत देने की अनुमति दी गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अस्थायी रोक लगाते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए हस्तक्षेप आवश्यक है।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यह केवल दुष्कर्म का मामला नहीं है, बल्कि पीड़िता के पिता की मौत और गवाहों पर हमले जैसे गंभीर आरोप भी सेंगर पर सिद्ध हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सेंगर एक प्रभावशाली जनप्रतिनिधि रहे हैं और ऐसे मामलों में जमानत देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

तुषार मेहता ने यह भी स्पष्ट किया कि पॉक्सो एक्ट के तहत “पब्लिक सर्वेंट” की व्याख्या संदर्भ के आधार पर की जानी चाहिए। उनका तर्क था कि विधायक या सांसद जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को सरकारी सेवक माना जाना चाहिए, खासकर तब जब अपराध पीड़ित पर प्रभावी स्थिति में रहते हुए किया गया हो।

वहीं, सेंगर की ओर से पेश वकीलों ने इसे “मीडिया ट्रायल” करार देते हुए जमानत का समर्थन किया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि यह सामान्य मामला नहीं है और चूंकि सेंगर अन्य मामलों में पहले से जेल में बंद हैं, इसलिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन का प्रश्न यहां उत्पन्न नहीं होता।
 

गौरतलब है कि 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं, जिसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद साफ हो गया है कि सेंगर की कानूनी राह आसान नहीं है और आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई पर देश की निगाहें टिकी रहेंगी।