वाराणसी। विकास प्राधिकरण (VDA) में एंटी करप्शन टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए संपत्ति विभाग के कर्मचारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह मामला शिव कुमार सिन्हा के फ्लैट से जुड़ा है, जो शास्त्री नगर, सिगरा में स्थित है। यह फ्लैट उनकी बुआ के नाम पर था और 2019 में नामांतरण के लिए आवेदन किया गया था।
नामांतरण के बावजूद संपत्ति विभाग ने खारिज किया नाम
2020 में फ्लैट का नामांतरण करने के बाद संपत्ति विभाग ने अचानक नाम खारिज कर दिया। पीड़ित शिव कुमार का आरोप है कि विभाग के कर्मचारी रविशंकर ने इस काम के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी। आखिरकार 50,000 रुपये में मामला तय हुआ, लेकिन फिर भी नाम दर्ज नहीं किया गया।
एंटी करप्शन से शिकायत के बाद कार्रवाई
थक-हारकर शिव कुमार सिन्हा ने एंटी करप्शन विभाग में शिकायत दर्ज कराई। आज, आरोपी को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
शिव कुमार सिन्हा, जो पेशे से अधिवक्ता हैं, ने बताया कि उनके फ्लैट का नामांतरण कोर्ट के आदेश के बावजूद अटका हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि VDA के अधिकारी और कर्मचारी पैसे के बिना काम नहीं करते। पिछले चार वर्षों से वह इस काम के लिए लगातार विभाग के चक्कर लगा रहे थे।
पैसे के बिना अधिकारी काम नहीं करते
शिव कुमार ने बताया कि विभागीय क्लर्क रविशंकर ने उनसे कहा था कि बिना घूस दिए काम संभव नहीं है। अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्हें क्लर्क के पास भेजा जाता, जबकि क्लर्क अधिकारी की सहमति का हवाला देकर पैसे मांगता था।
रिश्वत की मांग 2 लाख से घटकर 50 हजार पर तय हुई
पीड़ित ने खुलासा किया कि शुरुआत में उनसे दो लाख रुपये की मांग की गई थी, जो घटकर 50,000 रुपये पर आ गई। इसी 50,000 रुपये में से उन्होंने आज 5,000 रुपये दिए, जिसके दौरान आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
पीड़ित की मांग: न्यायिक कार्रवाई हो
शिव कुमार ने कहा कि यह मामला रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने इस पूरी घटना के खिलाफ विधिक कार्रवाई की मांग की है ताकि अन्य पीड़ितों को न्याय मिल सके।