Akhilesh Yadav : वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा के घर हुई चोरी और उसके बाद पुलिस एनकाउंटर की घटना अब सियासी गलियारों में गर्म मुद्दा बन चुकी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस मामले में एक व्यंग्यात्मक ट्वीट कर सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
“फिल्म सिटी नोएडा में बन रही है- Akhilesh Yadav
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, बनारस का हाफ एनकाउंटर देखकर जनता पूछ रही है, सरकार फिल्म सिटी नोएडा में बना रही है और फिल्म की शूटिंग बनारस में कर रही है। ये क्या मामला है?”
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए, पुलिस की कार्रवाई को फिल्मी स्टाइल की स्क्रिप्ट की तरह बताया। उनके मुताबिक, ये पूरा ऑपरेशन एक “शूटिंग” जैसा लग रहा है।
‘हाफ एनकाउंटर’ और ‘फुल रिटर्न’ का कटाक्ष
अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने आगे लिखा, “माना कि ये एनकाउंटर हाफ था लेकिन उम्मीद है कि महंत जी के घर से चोरी हुआ पुश्तैनी धन फुल रिटर्न होगा। पुलिस धन का कोई प्रतिशत इसमें से नहीं काटा जाएगा।”
उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा कि इस बरामदगी से उन अधिकारियों में भी उम्मीद जगी होगी, जिनका खुद का “भ्रष्ट कोष” हाल में चोरी हो गया था।
क्या था मामला?
हाल ही में संकट मोचन मंदिर के महंत के लंका स्थित आवास पर उनके घरेलू नौकरों ने दो करोड़ रुपये के आभूषण और तीन लाख नकदी चोरी कर ली थी। उस वक्त महंत मिश्रा अपनी पत्नी के इलाज के सिलसिले में दिल्ली में थे। चोरी की सूचना के बाद पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और तीन आरोपियों को मुठभेड़ में घायल कर पकड़ा, जबकि तीन अन्य को दौड़ाकर गिरफ्तार किया गया।
पुलिस की जवाबी कार्रवाई और वीडियो विवाद
पुलिस ने मुठभेड़ के बाद न सिर्फ आरोपियों से तमंचा, कारतूस और चोरी का सामान बरामद किया बल्कि पूरे ऑपरेशन का एक वीडियो भी जारी किया गया। इस वीडियो में पुलिस की कार्यवाही फिल्मी स्टाइल में प्रस्तुत की गई, जिस पर अखिलेश यादव ने चुटकी ली। उन्होंने इसे फिल्मी शूटिंग बताते हुए तंज कसा कि “फिल्म सिटी नोएडा में बन रही है और शूटिंग बनारस में हो रही है।”
सियासी हलचल और सोशल मीडिया पर बहस
अखिलेश (Akhilesh Yadav) के इस ट्वीट के बाद पुलिस महकमे में खलबली मच गई है। वहीं, सपा समर्थकों ने इसे सोशल मीडिया पर जमकर शेयर करना शुरू कर दिया है। बहरहाल, घटना की गंभीरता के बीच व्यंग्य और कटाक्ष की यह राजनीतिक नोंकझोंक एक बार फिर यह साबित करती है कि कानून व्यवस्था का हर पहलू अब कैमरे और सियासत दोनों की नजर में है।