Varanasi : काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है। शल्य चिकित्सकों ने डेढ़ साल की एक मासूम बच्ची के शरीर से करीब एक किलो वजनी ट्यूमर को 10 घंटे की जटिल सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक निकाल लिया। यह सर्जरी दो चरणों में पूरी हुई, जिसमें बाल शल्य चिकित्सा, कार्डियोथोरेसिक, रेडियोलॉजी और अन्य विभागों की विशेषज्ञ टीमों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी आगे की कीमोथेरेपी महामना कैंसर संस्थान में होगी।

पिछले डेढ़ महीने से बच्ची का इलाज महामना कैंसर संस्थान में चल रहा था। प्रारंभिक कीमोथेरेपी के बाद स्कैनिंग और रेडियोलॉजिकल जांच में पता चला कि ट्यूमर गुर्दे से लेकर हृदय के दाएं एट्रियम तक फैल चुका था। इस गंभीर स्थिति में तत्काल सर्जरी आवश्यक थी, जिसे बीएचयू की विशेषज्ञ टीम ने संभाला।
सर्जरी का नेतृत्व बाल शल्य चिकित्सा विभाग के प्रो. वैभव पांडेय और कार्डियोथोरेसिक विभाग के प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया ने किया। ऑपरेशन की योजना रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. ईशान और कार्डियक एनालिसिस विशेषज्ञ डॉ. प्रतिभा राय की निगरानी में तैयार की गई।

- पहला चरण: प्रो. वैभव पांडेय के नेतृत्व में डॉ. रुचिरा, डॉ. सेठ, डॉ. भानुमूर्ति, डॉ. मनीष और डॉ. राघव की टीम ने पेट और गुर्दे के पास फैले ट्यूमर को निकाला।
- दूसरा चरण: प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया की टीम ने कार्डियक बाइपास और ‘बीटिंग हार्ट’ तकनीक का उपयोग कर हृदय के दाएं एट्रियम से शेष ट्यूमर को हटाया। इस प्रक्रिया को ट्रांस-ईसोफेगल ईको (TEE) के जरिए गाइड किया गया, जिसमें डॉ. संजीव और डॉ. आरबी सिंह की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यह सर्जरी ‘बीटिंग हार्ट’ तकनीक पर आधारित थी, जिसमें हृदय की धड़कन को रोके बिना ऑपरेशन किया जाता है। यह तकनीक बच्चों के लिए विशेष रूप से जटिल होती है और इसके लिए छोटे उपकरणों और बायपास कैथेटर की आवश्यकता थी। बीएचयू की टीम ने इस चुनौती को बखूबी पार किया।
निजी सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में इस सर्जरी की लागत लगभग 25 लाख रुपये होती, जिसमें विशेष उपकरण और तकनीक का खर्च शामिल होता। लेकिन बीएचयू ने यह जटिल उपचार मात्र 60 हजार रुपये में पूरा कर एक मिसाल कायम की। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सकीय दक्षता को दर्शाती है, बल्कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए सस्ती चिकित्सा की उम्मीद भी जगाती है।

प्रो. वैभव पांडेय ने कहा कि बच्ची की कम उम्र और ट्यूमर का व्यापक फैलाव इस सर्जरी को अत्यंत जोखिम भरा बनाता था। लेकिन हमारी टीम के समर्पण, तकनीकी दक्षता और सामूहिक प्रयासों ने इसे संभव बनाया। यह बीएचयू की चिकित्सा सेवाओं की साख का जीवंत उदाहरण है।
सर्जरी के बाद अब बच्ची की हालत स्थिर है और वह सामान्य रूप से सांस ले रही है। महामना कैंसर संस्थान में उसकी कीमोथेरेपी जारी रहेगी ताकि शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सके और बीमारी की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।