Varanasi: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल के सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में MRI और अल्ट्रासाउंड मशीनों के लिए निकाले गए टेंडर में जालसाजी का बड़ा मामला सामने आया है। शिक्षा मंत्रालय की विजिलेंस टीम और BHU के कुलपति के निर्देश पर गठित फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की जांच में इस घोटाले की पुष्टि हुई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर BHU प्रशासन ने टेंडर को निरस्त कर दिया है।
जांच में पाया गया कि टेंडर प्रक्रिया में फर्जी GST नंबर का उपयोग किया गया था। इसकी शिकायत के बाद BHU प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 10 मार्च को इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस के प्रो. आर. के. लोधवाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी ने 31 मई को अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपी, जिसमें जालसाजी की पुष्टि हुई।
इस मामले में लंका थाने में 20 मार्च को पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (MS) प्रो. कैलाश कुमार, रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एएनडी द्विवेदी, उपकुलसचिव रश्मि रंजन, पल्स डायग्नोस्टिक के एमडी मनोज कुमार शाह और निदेशक सुनैना बिहानी शामिल हैं। लंका पुलिस ने जांच अधिकारी नियुक्त कर कागजातों की गहन जांच की।
IMS BHU के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने बताया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर टेंडर को निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में MRI और अल्ट्रासाउंड जांच के लिए टेंडर में गड़बड़ी पाई गई थी। अब नियमानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।”