वाराणसी I बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के हिंदी विभाग की स्नातक और परास्नातक छात्रा अर्चिता सिंह ने गुरुवार को केंद्रीय कार्यालय के बाहर धरने पर बैठकर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता और साजिश का गंभीर आरोप लगाया। अर्चिता ने दावा किया कि EWS श्रेणी के प्रमाण पत्र को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उनके प्रवेश को जानबूझकर रोका जा रहा है, ताकि किसी अन्य “प्रिय छात्रा” को प्रवेश दिलाया जा सके।
अर्चिता ने बताया कि उन्होंने 2024-25 BHU PHD प्रवेश बुलेटिन के आधार पर प्रवेश पोर्टल पर आवेदन भरा और EWS श्रेणी में “YES” का विकल्प चुना। काउंसलिंग के लिए बुलाए जाने पर उन्होंने 2023-24 का EWS प्रमाण पत्र और अंडरटेकिंग फॉर्म जमा किया, जिसमें 31 मार्च तक नया प्रमाण पत्र जमा करने की अनुमति थी। उन्होंने 29 मार्च को नया EWS प्रमाण पत्र भी जमा कर दिया। उनके सभी दस्तावेजों को चार स्तरों पर सत्यापित किया गया, और इंटरव्यू के बाद UR श्रेणी में उनकी रैंक 15 घोषित हुई। विभाग ने उन्हें प्रवेश के लिए पेमेंट लिंक भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी।

हालांकि, अर्चिता ने आरोप लगाया कि कुछ BHU प्रोफेसरों और केंद्रीय कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने “प्रिय छात्रा” को प्रवेश दिलाने के लिए प्रक्रिया को बाधित किया। इसके लिए एक कमेटी गठित की गई, जिसने मामले को BHU विश्वविद्यालय छात्र प्रवेश बोर्ड (USAB) को भेज दिया। USAB के अधिकारियों ने अर्चिता से मिलने से इनकार कर दिया और उनके अंडरटेकिंग फॉर्म को अमान्य बताकर प्रवेश रद्द करने की बात कही।
अर्चिता ने कहा, “पीएचडी बुलेटिन में अंडरटेकिंग फॉर्म को अमान्य करने का कोई नियम नहीं है। मेरे विभाग में अन्य छात्र-छात्राओं ने भी अंडरटेकिंग के आधार पर बाद में प्रमाण पत्र जमा कर प्रवेश प्राप्त किया।”
छात्रा ने आगे आरोप लगाया कि USAB अधिकारियों ने कहा कि “नया नियम तुम्हारे लिए ही बनेगा,” जो उनके अनुसार एक साजिश का हिस्सा है। अर्चिता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की बात करते हैं, लेकिन यहाँ मेरी अकादमिक हत्या की जा रही है। पिछले 15 दिनों से मुझे अधिकारियों के केबिन में चक्कर लगवाए जा रहे हैं।” उन्होंने बताया कि BHU विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि केंद्रीय कार्यालय नियमों के अनुसार प्रवेश की अनुमति दे, तो उनका एडमिशन हो सकता है।
इसी मांग को लेकर अर्चिता ने केंद्रीय कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण धरना शुरू किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से निष्पक्ष जांच और नियमों के अनुसार प्रवेश की मांग की है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।