वाराणसी I BHU में इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है और यह मामला चर्चा का विषय बन चुका है। कुछ प्रोफेसर अपने प्रमोशन के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं, तो वहीं कुछ प्रशासन पर जातिवाद और मनमानी का आरोप लगा रहे हैं। ताजा मामला प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व विभाग से जुड़ा है।
दरअसल, कला संकाय के इस विभाग के मौजूदा विभागाध्यक्ष प्रो. सुमन जैन का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो गया था। वरिष्ठता के हिसाब से अगले विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रो. एमपी अहिरवार को दी जानी चाहिए थी। लेकिन बीएचयू प्रशासन ने प्रो. अहिरवार को विभागाध्यक्ष न बनाते हुए, संकाय प्रमुख प्रो. सुषमा घिल्डियाल को अगले आदेश तक विभाग का प्रभार दे दिया। इस पर प्रो. एमपी अहिरवार ने कड़ा विरोध जताया और BHU प्रशासन पर अराजकता और जातिवाद का आरोप लगाया।
प्रो. अहिरवार ने कहा, “BHU का ऑर्डिनेंस 25(4)(2) के प्रावधान के अनुसार विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी मुझे मिलनी चाहिए थी, लेकिन इस नियम को दरकिनार करके डीन को BHU विभागाध्यक्ष का दायित्व सौंप दिया गया। इसे अंधेरे नगरी चौपट राजा कहूं या जातिवाद का जहर..”
इसके बाद, BHU के छात्रों ने प्रोफेसर के समर्थन में केंद्रीय कार्यालय का घेराव कर जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीनियर प्रोफेसर को दरकिनार कर अनियमित तरीके से विभागाध्यक्ष का पद सौंपा है।