Bihar : पूर्णिया जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाली एक भयावह घटना सामने आई है। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के राजीगंज पंचायत के टेटगामा वार्ड-10 में अंधविश्वास की आग में झुलसकर एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। डायन के शक में गांव के ही सैकड़ों लोगों ने पति-पत्नी, उनके बेटे, बहू और वृद्ध सास को पहले बेरहमी से पीटा और फिर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया।
पंचायत में सुनाया गया तालिबानी फरमान
रविवार रात गांव के मर्रर नकुल उरांव की अगुवाई में करीब 200 ग्रामीणों की पंचायत बुलाई गई थी। इसमें 48 वर्षीय सीता देवी पर डायन होने का आरोप लगाते हुए उनके पति बाबूलाल उरांव (50), सास कातो देवी (65), बेटे मंजीत उरांव (25) और बहू रानी देवी (23) को भी घसीट लाया गया। ग्रामीणों ने सभी को बारी-बारी से लाठी-डंडों से पीट-पीटकर अधमरा कर दिया और फिर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया।
इकलौते बेटे ने भागकर बचाई जान, दी पुलिस को सूचना
इस वीभत्स घटना को मृतकों के इकलौते बेटे सोनू कुमार के सामने अंजाम दिया गया। सोनू किसी तरह जान बचाकर वहां से भागा और पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही मुफस्सिल थाने के साथ आसपास के तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। एसपी स्वीटी सहरावत, एएसपी आलोक रंजन और अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और जांच में जुट गए।
अब तक दो शव बरामद, बाकी की तलाश जारी

मुफस्सिल थानाध्यक्ष उत्तम कुमार ने बताया कि अब तक दो शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि तीन शवों की तलाश अभी जारी है। पुलिस ने गांव के मुखिया (मर्रर) नकुल उरांव और एक ट्रैक्टर चालक को गिरफ्तार कर लिया है। गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
अंधविश्वास बना नरसंहार की वजह
यह हृदयविदारक घटना एक बार फिर से दर्शाती है कि आज भी समाज के कई हिस्सों में अंधविश्वास और कुप्रथाएं कितनी गहराई तक जड़ें जमा चुकी हैं। पांच निर्दोष लोगों की बर्बर हत्या ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है। प्रशासन अब इस मामले में कड़ी कार्रवाई और जल्द न्याय का भरोसा दिला रहा है।