वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग एवं मीरा एजुकेशन सोसाइटी के सहयोग से शुक्रवार को बौद्ध धर्म पर आधारित सात दिवसीय मुखौटा कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। कार्यशाला का आयोजन ललित कला विभाग के सभागार में किया गया, जहां डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद और सुचिता शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर इसका शुभारंभ किया।
डॉ. सुचिता शर्मा ने मुखौटा बनाने की विभिन्न पद्धतियों के बारे में जानकारी दी और बताया कि मुखौटे कितने प्रकार के होते हैं। वहीं, डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान तक मुखौटे के उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बुद्ध को दशावतार में नवम अवतार माना जाता है, और बौद्ध गुरुओं के धातु के मुखौटे धार्मिक नृत्यों में महत्वपूर्ण होते हैं।
मीरा एजुकेशन सोसायटी के सचिव हिमांशु सिंह ने बताया कि यह कार्यशाला 18 से 24 अक्टूबर 2024 तक आयोजित की जा रही है और इसमें केंद्रीय बौद्ध शिक्षा संस्थान लेह के वरिष्ठ कलाकार शेरिंग डोरजे द्वारा निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस अवसर पर डॉ. रामराज, डॉ. मदन लाल गुप्ता, डॉ. सविता यादव, एस. एंजेला, शालिनी कश्यप, और रवि प्रकाश हिमांशु भी उपस्थित रहे।