व्यापार का आकार – सपने करे साकार

मिथिलेश कुमार पाण्डेय


प्राचीन काल से ही धन निर्माण, रोजगार सृजन और कर संग्रह के लिए व्यापार ही सर्वोत्तम साधन रहा है। नौकरी तो व्यक्तिगत और पारिवारिक जीविकोपार्जन का श्रोत रहा है। व्यापार में उत्पादन, निर्माण, विक्री, विपणन, ग्राहक सेवा, प्रबंधन आदि शामिल हैं। व्यापार रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम है और सरकार के लिए राजस्व प्राप्ति के अवसर उतपन्न करता है। इसके साथ साथ व्यापारी के लिए पूंजी निर्माण का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

शास्त्रों में वर्णित बुद्धि, विवेक, कौशल की श्रेष्ठता प्राप्त करने के पंचतत्वों में व्यापार को स्थान प्राप्त है। व्यापार को स्थापित करके सफलता पूर्वक संचालित करना एक तपस्या ही है जिसमें बहुत से मुद्दों जैसे सरकारी नियमों, दिशानिर्देशों, ग्राहकों की जरूरत और उनकी पसंद , बाज़ार में प्रचलित धारणाएं, उत्पाद की मात्रा और गुणवत्ता, अपने कर्मचारियों की आवश्यकता और सुविधाएँ, वित्त की सुलभता और सुरक्षा, उत्पादन लागत, व्यापारिक नैतिकता इत्यादि पर ध्यान रखना होता है और इन सभी पैमानों को पूरा करते हुए लाभप्रदता के साथ व्यापारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना।

व्यापार में आकार का काफी महत्व होता है। एक ही तरह का व्यापार अलग अलग ढंग से विभिन्न स्त्तरों पर किया जाता है। किसी व्यापार का अनुकूलतम आकार क्या हो यह निर्धारित करना एक बड़ा ही जटिल प्रश्न है परन्तु सामान्यतः हर एक व्यापार का उद्देश्य व्यापार विस्तार तो होता ही है व्यापार चाहे किसी भी आकार का हो इसकी सफलता के लिए मूलतः कम लागत पर पूंजी, कुशल और पर्याप्त श्रम शक्ति, सजग और दूरदर्शी प्रबंधन, नवीनतम तकनीक, उपयुक्त बाज़ार, ग्राहकों का विश्वास आदि अत्यंत आवश्यक हैं। व्यापारिक सफलता के इन बुनियादी तत्वों के आधार पर बड़े और छोटे व्यापार के लाभ और हानि को समझने का प्रयास करते हैं I

व्यापार के बड़े आकार के लाभ:
1. प्रति इकाई कम उत्पादन लागत : वृहद तादाद में खरीद करने से कम दर पर सामान मिल जाता है, उत्पादन प्रक्रिया को कार्य कुशल बना कर, प्रति इकाई उत्पादन लागत को कम करके लाभप्रदता को बढाया जा सकता है।
2. बड़े व्यापार के पास वित्तीय सामर्थ्य ज्यादा होने के कारण अपने आपूर्तिकर्ताओं तथा वितरकों के साथ लाभप्रद सौदेबाज़ी करने में सफल होते हैं।
3. व्यापार के लिए आवश्यक वित्तीय और मानव संसाधनों तक इनकी पहुँच आसान हो जाती है।
4. मजबूत ब्रांड पहचान के बल पर वफादार ग्राहकों की संख्या बढती है और निश्चित तौर पर विक्री के बढ़ने की सम्भावना ज्यादा होती है तथा ग्राहक लम्बे समय तक जुड़े रहते हैं।
5. व्यापार में विविधिकरण करना आसान होता है। बाज़ार में उपलब्ध नए अवसरों का लाभ उठाकर अपने व्यापारिक उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं।
6. बड़े व्यापार में सामूहिक विवेक का लाभ सुलभ रहता है क्योंकि इसके संचालक मंडल में व्यापार और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं जिनके पास अपने अपने क्षेत्र का व्यापक अनुभव होता है और इसका लाभ व्यापार को मिलता है I

व्यापार का बड़ा आकार कुछ समस्याएं भी साथ लाता है जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं:


प्रबंधन के कई स्तर होने से निर्णय प्रक्रिया जटिल हो जाती है, आपसी संवाद कमजोर हो जाता है और अफसरशाही का प्रादुर्भाव हो जाता है I नियंत्रण की प्रक्रिया भी निष्प्रभावी होने लगती है क्योंकि जबाबदेही तय करना मुश्किल हो जाता है I
कभी कभी व्यापार के प्रमुख योग्यता (Core Competence) और प्रतिस्पर्धी लाभ पर ध्यान कम हो जाता है I प्रयासों की पुनरावृति, मानव संसाधन के उत्साह में कमी भी देखि जा सकती है I व्यापार के नवीन प्रयासों में कमी, जोखिम से बचने की प्रवृति भी विकसित होने लगती है I
नए परिवर्तन को स्वीकार करके अपनाना कठिन हो जाता है और व्यापार के बाहर के अवरोध भी प्रभावी होने लगते हैं I
वैधानिक चुनौतियाँ बढ़ जाती हैं जिसके अनुपालन में ज्यादा संसाधन लगाना पड़ता है I

छोटे आकार के व्यापार के भी कुछ लाभ स्पष्ट दिखलाई पड़ते हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं:

1. छोटे व्यापार ज्यादातर ग्राहकों की जरुरत और बाज़ार में परिवर्तन के प्रति ज्यादा सजग और लचीले होते हैं और आसानी से आवश्यकता के अनुसार अपने को ढाल लेने में सफल होते हैं I
2. जोखिम उठाने, नए परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं जिसकी वजह से व्यापार में अनुसन्धान की संस्कृति विकसित होती है I
3. ग्राहकों की जरूरतों पर व्यक्तिगत ध्यान दे पाते हैं जिससे व्यापार को प्रतिवद्ध ग्राहक मिलते हैं I
4. स्थानीय समाज से एक मजबूत सम्बन्ध स्थापित करे में सफल होते हैं जिससे व्यापार की प्रतिष्ठा बढती है और प्रतिवद्ध ग्राहक मिलते हैं I
5. अपने किस्म के बाज़ार में कम प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है I

इसके साथ साथ छोटे व्यापार को कुछ कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ता है जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

संसाधनों की कमी
बाज़ार में होने वाले उथल पुथल से असुरक्षित
बड़े व्यापार से मुकाबला करने में कठिनाई
एक- दो मुख्य व्यक्तियों पर निर्भरता
व्यापार के अनुकूलतम आकार की तलाश एक अनंत प्रक्रिया है जो की तात्कालिक और दूरगामी व्यापारिक लक्ष्यों पर निर्भर करता है I
हर व्यापारी या व्यापारिक घराना व्यापार संवर्धन के प्रयास में सदैव लगा होता है जिसके लिए अधिग्रहण, विलय, एकीकरण आदि प्रक्रिया को अपनाता है I

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तमाम सफल अधिग्रहण, विलय और एकीकरण के उदहारण उपलब्द्ध हैं जिनमे से कुछ उदहारण नीचे दिए गए हैं,जैसे EXXON MOBIL और MOBIL का विलय 1999 में, गूगल और एंड्राइड का विलय 2005 में, गूगल और Youtube का विलय 2006 में , Disney और Pixar का विलय 2006 में, फेसबुक और whatsapp का विलय 2014 में, माइक्रोसॉफ्ट और linkedin का विलय 2016 में, उपरोक्त विलयों के फलस्वरूप संस्थाएं काफी मजबूत हुईं और अपने कार्य क्षेत्र में दक्षता हासिल कर के ग्राहकों को सेवा देने में सफल हुईं I
इसी तरह से भारतीय व्यापारिक घरानों ने भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिग्रहण करके व्यापार को मजबूती और ख्याति प्रदान किया है I

कुछ उदहारण निम्न हैं:
1. सन 2000 में टाटा समूह ने इंग्लैंड की चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण किया जिसके फलस्वरूप टाटा टेटली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय निर्माता कंपनी बन गयी I
2. सन 2008 में टाटा समूह ने जगुयार लैंड रोवर का अधिग्रहण करके luxary कार के क्षेत्र में प्रवेश किया I
3. सन 2007 में टाटा समूह ने Corus करके दुनिया के 45 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए दुनिया का दूसरा सबसेबड़ा स्टील उत्पादक बना I
4. इसी तरह लक्ष्मी मित्तल ने 1998 से 2006 के बीच में 5 विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करके स्टील उत्पादन और विपणन में अपनी स्थिति को काफी मजबूती प्रदान किया I
5. रिलायंस समूह भी अधिग्रहण के माध्यम से अपने व्यापार को तेजी से बढाया है | इस समूह द्वारा अधिगृहित कंपनियों में Netmeds, Hamley, Future Group, Trends, Ritu Kumar, BSES, Flag Telecom, Pipavav Shipyards, आदि प्रमुख हैं I
6. अदानी समूह ने अधिग्रहण के माध्यम से व्यापार के विभिन्न क्षेत्र जैसे Ports, Railways, Airport, Power Generation, Coal Mines, Gas Distribution, Cement, Media आदि क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करने में सफल रही है I
7. ऑटोमोबाइल उद्योग में वैश्विक स्तर पर भी काफी सफल विलय या समावेशन हुए हैं जिनमे से फोर्ड और जगुयार (1989 में ), BMW और Rover Group ( 1994 में), Dailmer Benz और Chrysler (1998 में), Fiat और Chrysler (2009 में), Geeley और Volvo Cars (2010 में), Porsche और Volkswagen (2012 में), Nissan और Mitsubishi (2016 में ) प्रमुख हैं I
8. चीन की कंपनी BYD से मुकाबला करने के लिए जापान की दो बड़ी कार कंपनी हौंडा और निसान का विलय 2026 तक करने का निर्णय लिया जा चुका है I
9. वित्तीय क्षेत्र में भी स्टेट बैंक के 5 सहायक बैंकों का 2017 में स्टेट बैंक में विलय किया गया I
विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ़ बड़ोदा में 2019 में विलय किया गया I
2020 भारत में राष्ट्रीयकृत बैंकों का बड़े पैमाने पर आपस में विलय किया गया जिसमे ओरिएण्टल बैंक और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का कनारा बैंक में, आंध्र बैंक और कारपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक में विलय किया गया I

ग्रामीण बैंकों में विभिन्न चरणों में विलय की प्रक्रिया चल रही है I
उपरोक्त उदाहरण तो बड़े स्तर के सम्मेलन/विलय/अधिग्रहण के हैं | छोटे और मंझोले स्तर पर भी व्यापार का यह मॉडल काफी अपनाया जाता है I व्यापार विस्तार के लिए उपयुक्त व्यक्ति और संस्थानों के बीच समझौता/ साझेदारी करके व्यापार संवर्धन का प्रयास जारी है जिससे सभी साझेदारों के लिए लाभ की स्थिति बनती है I


    (लेखक पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं आर्थिक विश्लेषक हैं )

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