छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि इसके पीछे छिपा वैज्ञानिक पहलू भी इसे खास बनाता है। यह पर्व सूर्य की पूजा पर आधारित है, जो प्रकृति और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय पर्व सूर्य और छठी मैया के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। इसके साथ ही सूर्य की किरणों का प्रभाव मानव शरीर और स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान आकर्षित करता है।
सूर्य की किरणों का स्वास्थ्य पर प्रभाव
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो सूर्य की किरणें, खासकर सुबह और शाम के समय अल्ट्रावायलेट किरणों से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। जब व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, तो उनका शरीर सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आता है, जिससे कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह किरणें शरीर में विटामिन डी के स्तर को बढ़ाती हैं, जो हड्डियों की मजबूती और इम्यून सिस्टम के लिए लाभकारी है।
मानसिक और शारीरिक लाभ
छठ पूजा में कई घंटों तक जल में खड़े रहना, उपवास रखना और प्राकृतिक तत्वों के बीच रहना मानसिक और शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाता है। जल में खड़े रहने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और दिमाग में शांति का संचार होता है। इसके साथ ही, उपवास रखने से शरीर की पाचन प्रणाली को आराम मिलता है और शरीर में जमा टॉक्सिन्स भी निकलते हैं।
छठ पूजा का प्राकृतिक महत्व
छठ पूजा का आयोजन नदी, तालाब, या किसी प्राकृतिक जल स्रोत के पास होता है, जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों की साफ-सफाई पर भी जोर दिया जाता है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का भी संदेश देता है। साथ ही, सामूहिक रूप से जल स्रोतों के पास इकट्ठा होना, सफाई का महत्व समझाना और समाज में एकता का संदेश देना छठ पूजा की खास विशेषताएं हैं।
समर्पण और ध्यान का महत्व
छठ पूजा का वैज्ञानिक पहलू ध्यान, संकल्प और समर्पण को भी बढ़ावा देता है। इस पूजा में व्रती अपने खान-पान और जीवनशैली को साधारण रखते हैं, जिससे उनके मन में संतोष और आत्म-नियंत्रण की भावना उत्पन्न होती है।
छठ पूजा का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व इसे समाज में एक विशेष स्थान प्रदान करता है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक शांति और सामूहिकता का प्रतीक है, बल्कि इसमें स्वास्थ्य, पर्यावरण और मानसिक शांति का गहरा संबंध भी निहित है।