वाराणसी में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बड़ा बयान, कहा- कास्टिज्म नहीं, राष्ट्रिज्म...
Varanasi : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) मंगलवार को वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में दावा किया है कि विदेशी ताकतें उन्हें बदनाम करने की साजिश में लगी हैं। उनका कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से फर्जी वीडियो बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड्यंत्र रचे जा रहे हैं ताकि उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
जातिवाद समाज को तोड़ रहा है
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातिवाद है, जो समाज में विभाजन पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, हम इस देश में कास्टिज्म नहीं, राष्ट्रिज्म चाहते हैं। हमें जातिवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद चाहिए।
उन्होंने बताया कि उनकी यह यात्रा सामाजिक समरसता, हिंदू एकता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को समर्पित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरण यात्रा है।
दिलों में हिंदू राष्ट्र चाहिए, संविधान में नहीं
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उन्हें किसी सरकार या संविधान में ‘हिंदू राष्ट्र’ की मुहर नहीं चाहिए, बल्कि ऐसा हिंदू राष्ट्र चाहिए जो हर नागरिक के दिल में बसता हो। उन्होंने कहा, हमें कागजों पर नहीं, विचारों में हिंदू राष्ट्र चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि यात्रा के दौरान पर्यावरण और नदी संरक्षण, विशेषकर यमुना नदी की शुद्धता को लेकर जनजागरण किया जाएगा। इस दौरान संतों, समाजसेवियों और युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम होंगे, जिनमें सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव पर चर्चा होगी।
हिंदुओं के लिए एक देश होना चाहिए
शास्त्री ने कहा कि जैसे मुसलमानों के 65 से अधिक देश और ईसाइयों के 95 से अधिक देश हैं, वैसे ही दुनिया भर के करोड़ों हिंदुओं के लिए एक राष्ट्र होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका प्रस्तावित हिंदू राष्ट्र किसी धर्म पर आधारित भेदभाव वाला देश नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और मूल्य-आधारित राष्ट्र होगा, जो सबको साथ लेकर चलेगा।
नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखना होगा
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत की संस्कृति, परंपराएं और आध्यात्मिक धरोहर को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी नई पीढ़ी पर है। अगर आने वाली अल्फा, बीटा और उससे आगे की पीढ़ियां अपनी जड़ों से कट गईं, तो हमारी पहचान मिट जाएगी,” उन्होंने कहा।
