लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित होकर राज्य में बसाए गए हजारों परिवारों को भूमि स्वामित्व का अधिकार देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि इन परिवारों को सम्मान और न्याय देने की राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
60 सालों का इंतजार खत्म करने की पहल- CM Yogi
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि दशकों से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जैसे जिलों में रह रहे 10,000 से अधिक विस्थापित परिवार अब अपनी जमीन के कानूनी मालिक बन सकेंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राजस्व अभिलेखों में इन परिवारों के नाम दर्ज किए जाएं और लंबित प्रक्रियाओं को शीघ्र पूरा किया जाए।
गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के बाद नए कानूनी रास्ते तलाशने के निर्देश
मुख्यमंत्री (CM Yogi) ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन परिवारों को पहले गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत जमीन दी गई थी, उन्हें ध्यान में रखते हुए अब नए विधिक विकल्प खोजे जाएं क्योंकि यह कानून वर्ष 2018 में निरस्त किया जा चुका है।
वर्षों से बसे परिवारों को नहीं मिला वैध हक
विभाजन के बाद 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से आए हजारों परिवारों को उत्तर प्रदेश में शरण दी गई थी। शुरू में इन परिवारों को ट्रांजिट कैंपों के जरिए गांवों में बसाया गया और कृषि भूमि भी आवंटित की गई, लेकिन कानूनी व अभिलेखीय जटिलताओं के चलते अब तक अधिकांश परिवार भूमिधरी अधिकार से वंचित रहे हैं।
जमीन पर बसे लेकिन रिकॉर्ड में नाम नही
कई गांवों में विस्थापित परिवार वर्षों से खेती कर रहे हैं, घर बना चुके हैं, लेकिन राजस्व अभिलेखों में उनका नाम नहीं है। वहीं कुछ स्थानों पर अब वे परिवार मौजूद नहीं हैं जिनके नाम पर पहले जमीन आवंटित की गई थी। कुछ मामलों में बिना कानूनी प्रक्रिया के कब्जा किए जाने की वजह से विवाद भी सामने आए हैं।

संवेदनशीलता और सम्मान के साथ हो कार्रवाई: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने अधिकारियों से कहा कि इन परिवारों के साथ संवेदनशील और गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाए। यह केवल भूमि का हस्तांतरण नहीं, बल्कि मानवता, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने का अवसर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें वैकल्पिक भूमि देकर उनके जीवन को स्थायित्व और सम्मान देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।