नई दिल्ली। भारतीय संसद में संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। शाह के बयान, बार-बार अंबेडकर का नाम लेने की जगह एक बार भगवान का नाम लिया जाए तो सात जन्मों तक स्वर्ग में रहेंगे, पर दलित संगठनों और अंबेडकर अनुयायियों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
विरोधकर्ताओं ने गृह मंत्री के बयान को न केवल अमर्यादित बल्कि सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया। उनका आरोप है कि यह बयान दलित समाज और बाबा साहब अंबेडकर की विरासत का घोर अपमान है। संगठनों का कहना है कि भाजपा और आरएसएस लंबे समय से संविधान और आरक्षण विरोधी रुख अपनाते रहे हैं और यह बयान उसी मानसिकता का परिचायक है।
प्रतिक्रियाओं में अंबेडकर समर्थकों ने जोर देकर कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर देश के दलितों और वंचितों के लिए भगवान की तरह पूजनीय हैं। उन्होंने संविधान के निर्माण के माध्यम से देश के सभी वर्गों को समान अधिकार और जीवनयापन का सुगम रास्ता दिया है। ऐसे में गृह मंत्री का बयान न केवल घृणित है बल्कि दलित समुदाय के सम्मान पर सीधा प्रहार है।
आक्रोशित दलित संगठनों और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि शाह का बयान संविधान और दलित समाज का अपमान है, जिसे सहन नहीं किया जा सकता।