JN.1 : एशियाई देशों में बढ़ते कोविड के नए वैरिएंट JN.1 के मामलों के बीच भारत में भी संक्रमण के केस धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। बीते एक हफ्ते में देश में 160 से ज्यादा नए केस मिले हैं, जिनमें अकेले मुंबई में करीब 53 संक्रमित मरीज मिले हैं। चिंता की बात यह है कि बुजुर्गों के साथ छोटे बच्चे भी अब कोविड की चपेट में आ रहे हैं।
JN.1 : नवजात शिशु गंभीर हालत में भर्ती
मुंबई के केजे सोमैया अस्पताल में भर्ती 4 महीने का एक नवजात शिशु कोविड पॉजिटिव पाया गया है। उसे सांस लेने में दिक्कत होने के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था। अब वह ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। डॉक्टर इरफान अली के अनुसार, बच्चे की हालत काफी नाजुक थी—फेफड़ों में पानी भर गया था और सांस रुक-रुककर चल रही थी। अब वह वेंटिलेटर से बाहर आ चुका है, लेकिन अभी भी उसकी हालत पूरी तरह सामान्य नहीं है।
अस्पताल में एक अन्य बच्चा भी भर्ती है जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही है, और डॉक्टर उसे संभावित कोविड केस मान रहे हैं। उसकी जांच रिपोर्ट आना बाकी है।
बुजुर्ग, बीमार और बच्चों पर ज्यादा खतरा
इस बार कोविड (JN.1) कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों—जैसे कि पहले से बीमार मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों—को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। मुंबई के KEM अस्पताल में कैंसर और किडनी की बीमारी से पीड़ित दो मरीजों की कोविड पॉजिटिव स्थिति में मौत भी चर्चा में है।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा कि फिलहाल हालात चिंताजनक नहीं हैं। राज्य में अभी कुल 56 सक्रिय केस हैं और केंद्र सरकार से किसी विशेष गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “पहले जैसी घबराहट की जरूरत नहीं है। मरीजों की पहचान को लेकर ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है, लेकिन जिन्हें पहले से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।”

देश में कोविड की स्थिति
भारत में 19 मई 2025 तक कुल 257 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। बीते एक सप्ताह में 164 नए केस सामने आए हैं। महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक नए मामले पाए गए हैं। महाराष्ट्र में इस दौरान 44 नए मरीज सामने आए हैं।
JN.1 वैरिएंट की बढ़ती चर्चा
इस साल कोविड के नए वैरिएंट JN.1 ने लोगों को चिंतित कर रखा है। हालांकि WHO का कहना है कि यह वैरिएंट इम्यून सिस्टम को चकमा देने की क्षमता रखता है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह पहले के ओमिक्रॉन वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक है।