मिथिलेश कुमार पाण्डेय
प्रयागराज महाकुम्भ 2025 आज भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में कौतुहल और चर्चा का विषय है l इतना बड़ा विशाल सफल आयोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इसमें उत्तर प्रदेश सरकार पूरे मनोयोग और शक्ति से लगी रही l इस महाआयोजन की सफलता के प्रति सरकार की प्रतिवद्धता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 45 दिनों के इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री स्वंय कुल 18 बार दौरा कर चुके है l देश के महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, केंद्रीय मंत्री, संसद के दोनों सदनों के सभापति, कई राज्यों के मुख्य मंत्री, राजनीतिक दलों के नेता, विदेशी प्रतिनिधि मंडल, धर्माचार्य और न जाने कितने गण्यमान विभूतियों ने इस महाकुम्भ के दौरान संगम के जल में अमृत स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया l
इस बड़े आयोजन के दौरान कुछ हादशे भी हुए। जन और धन की क्षति भी हुई, श्रद्धालुओं की असुविधा की खबरें भी आयी l परन्तु जो सबसे ज्वलंत विन्दु चर्चा में है वह है महा कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या l 65-66 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या आने का दावा किया जा रहा है। कुछ विशेषज्ञ इस आंकडे को अतिरंजित कह रहे है l यह संख्या 60-66 करोड़ हो या न हो परन्तु इसे तो मानना ही होगा कि संख्या अभूतपूर्व रूप से विशाल है और इसे संभालना बहुत ही दुरूह कार्य है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने सफलता पूर्वक संभाला है l
यह एक स्वाभाविक प्रश्न है कि आखिर श्रद्धालुओं की संख्या की गिनती कैसे हो रही है l हर सामान्य व्यक्ति के मन में यह जिज्ञाषा जरुर होगी कि आखिर कोई भी संख्या कैसे प्राप्त हो रही है l सरकार बिना किसी आधार के आधिकारिक रूप से संख्या की घोषणा कैसे कर सकती है l निश्चित तौर पर कुछ काम करके ही संख्या के बारे में निष्कर्ष निकला जाता होगा l संख्या बहुत बड़ी है, जिसके लिए न तो निमंत्रण पत्र आते है न ही कोई टिकट l इतने बड़े आयोजन में आने वाले लोगों की संख्या का अनुमान ही लगाया जा सकता है l परन्तु अनुमान भी यथार्थ के नजदीक हो इसके लिए कुछ वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग किया जाता है जिसके बारे में हमलोग जानने की कोशिश करते है जो निम्नलिखित हैं :
ड्रोन तथा एरियल फोटोग्राफी : महाकुम्भ जैसे बड़े आयोजनों में प्रशासन ड्रोन और हेलीकाप्टर कैमरों से भीड़ की तश्वीरें लेता रहा l इन तस्वीरों को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग सॉफ्टवेर की मदद से स्कैन किया जाता है l इससे लोगों के सिर गिनने की प्रक्रिया स्वचालित हो जाती है और अधिक सटीक निष्कर्ष देती है l हालाँकि बारिश,कोहरा , रात का समय, पेड़ो की छाया आदि गणना में बाधा डाल सकती है l
CCTV कैमरे और AI काउंटिंग : कुम्भ मेले में काफी बड़ी संख्या में CCTV कैमरे लगाये जाते हैं जो 24 घंटे भीड़ को मॉनिटर करते हैं l कैमरे के लाइव फुटेज का AI सॉफ्टवेर द्वारा विश्लेषण किया जाता है जिससे यह पता चलता है कि किसी विशेष स्थान पर कितने लोग मौजूद है l इससे भीड़ का घनत्व भी पता चलता है और जन प्रवाह की दिशा का भी ज्ञान होता है l बहुत ज्यादा भीड़, सर पर गठरी, कंधे पर बैठे बच्चे आदि इसकी गणना में बाधक होते हैं l
मोबाइल नेटवर्क और GPS डाटा का उपयोग : जब कोई व्यक्ति अपने मोबाइल फ़ोन के साथ मेला क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसका सिग्नल नजदीकी मोबाइल टावर से जुड़ जाता है l टेलिकॉम कंपनियां यह डाटा प्रशाशन को देती है की किसी विशेष समय पर कितने मोबाइल उपयोगकर्ता उस क्षेत्र में मौजूद है l गूगल मैप्स और GPS ट्रैकिंग के सहारे भी क्षेत्र की भीड़ का अंदाजा लगाया जाता है l छोटे बच्चे, बुजुर्ग, सन्यासी या और जो मोबाइल फ़ोन नहीं रखते हैं वे इस गणना में छुट जाते हैं l
एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर मैन्युअल गिनती : कुम्भ मेला क्षेत्र में विभिन्न एंट्री तथा एग्जिट पॉइंट्स पर इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगाये जाते हैं जिससे जब कोई गुजरता है तो वह इसको गिन लेता है l इस डाटा को कंप्यूटर में डाल कर यह पता लगाया जाता है कि मेला क्षेत्र में कितने लोग आये l यदि कुछ लोग अनधिकृत प्रवेश द्वारों से आते है तो वे इस गिनती में छुट जाते हैं l
सैम्पलिंग विधि और गणितीय मॉडल : इसमें किसी क्षेत्र जैसे 100 वर्ग मीटर में मौजूद लोगों की गिनती की जाती है l इस डाटा को पुरे मेला क्षेत्र पर लागू किया जाता है और एक अनुमान लगाया जाता है कि कुल कितनी भीड़ होगी l आम तौर पर भीड़ में 1 व्यक्ति प्रति वर्ग मीटर को कम घनत्व, 3-4 व्यक्ति प्रति वर्ग मीटर को माध्यम घनत्व तथा 5-6 व्यक्ति प्रति वर्ग मीटर को अधिक घनत्व माना जाता है l इस संख्या को कुम्भ मेले के क्षेत्रफल से गुना करके अनुमानित संख्या निकली जाती है l यह केवल अनुमान होता है जो वास्तविकता से भिन्न हो सकता है l
यात्रा के लिए बेचे गए टिकट और आने वाले वाहनों की संख्या : रेलवे और बसों के लिए बेचे गए टिकटों और निजी वाहनों की संख्या से भी आने वालो की संख्या का अनुमान लगाया जाता है l परन्तु यह भी देखा गया है कि कुछ अराजक तत्त्व बिना टिकट भी यात्रा करते है तथा प्रत्येक निजी वाहनों में आने वाले व्यक्तियों की संख्या भी असमान रहती है
हम यह कह सकते है कि अभी ऐसी कोई विधि नहीं हो सकती है जो कि इतने बड़े आयोजन में आने वाले लोगों की सही संख्य बता सके l संख्या का अनुमान ही लगाया जाता है l संख्या चाहे 50,60, 65 करोड़ हो या कुछ और। एक बात तो बिलकुल सत्य है संख्या बहुत बड़ी है l आंकडे की शुद्धता पर ध्यान दिए बगैर हमलोग इस पावन अवसर पर पुण्य के भागी बने जो कि बताया जा रहा है कि 144 वर्ष के बाद आया है जो की निश्चय ही इस समय जो इस पृथ्वी पर हैं शायद उनकी जिन्दगी में दुबारा न आये।