Cyber Fraud : शेयर मार्केट में मोटे मुनाफे का सपना दिखाकर साइबर ठगों (Cyber Fraud) ने वाराणसी की एक महिला डॉक्टर से 1.88 करोड़ रुपये ठग लिए। ठगों ने न केवल निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी की, बल्कि पैसे वापस दिलाने के नाम पर भी लाखों रुपये ऐंठ लिए। इस मामले में पीड़ित डॉक्टर ने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई है। डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार ने बताया कि आरोपियों की तलाश में तीन टीमें गठित की गई हैं।
Cyber Fraud : इंस्टाग्राम विज्ञापन से शुरू हुआ झांसा
पीड़ित डॉक्टर के मुताबिक, 2 मार्च को उन्होंने इंस्टाग्राम पर ‘आस्क इनवेस्टमेंट’ का विज्ञापन देखा। लिंक पर क्लिक करने के बाद वह एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘आस्क हेल्प डेस्क’ से जुड़ गईं, जिसकी कोऑर्डिनेटर प्रिया शर्मा नामक युवती थी। उसकी सलाह पर डॉक्टर ने ‘ASK’ नाम का एक ऐप डाउनलोड किया, जिसमें निवेश के लाभांश दिखते थे। शुरुआत में कुछ पैसे निकाल पाने से उनका भरोसा और बढ़ गया।
1.88 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर
प्रिया शर्मा के निर्देश पर डॉक्टर ने मुंबई, गुजरात और दिल्ली के अलग-अलग बैंकों में 1.88 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र के ‘एमएसीई ट्रेडिंग’ खाते में 15.50 लाख, ‘टेक्समेक्स’ खाते में 3.60 लाख, ‘नालको ट्रेडिंग’ में 10 लाख, बंधन बैंक में 50 हजार और ‘एसके इंटरप्राइजेज’ खाते में 56.72 लाख रुपये भेजे गए।

पैसे वापसी के नाम पर भी हुई ठगी
जब डॉक्टर ने पैसे वापस मांगने की कोशिश की तो उनसे कहा गया कि और निवेश करने पर ही रुपये मिलेंगे। ग्रुप में अन्य सदस्य भी भारी मुनाफा होने का दावा करते हुए स्क्रीनशॉट शेयर करते थे, जिससे उनका विश्वास लगातार बढ़ता गया। धीरे-धीरे महिला डॉक्टर जालसाजों के जाल में पूरी तरह फंसती चली गईं।

आईपीएल सीजन में बेटिंग ऐप से जुड़ाव की आशंका
पुलिस को संदेह है कि ठगी के ये पैसे बेटिंग ऐप्स के विजेताओं को इनामी राशि के रूप में ट्रांसफर किए गए होंगे। आईपीएल सीजन में सक्रिय कई ऑनलाइन बेटिंग प्लेटफॉर्म्स के कारण यह एंगल भी जांच में लिया गया है।

साइबर ठगी (Cyber Fraud) से बचाव के लिए जरूरी चेतावनी
- किसी भी निवेश ऐप या लिंक पर क्लिक करने से पहले आर्थिक विशेषज्ञ से सलाह लें।
- जालसाज पहले थोड़ा मुनाफा दिखाकर विश्वास जीतते हैं, फिर बड़ी ठगी करते हैं।
- शेयर ट्रेडिंग में ‘तीन-चार गुना मुनाफा’ जैसे दावों से सतर्क रहें।
- ठगी का शिकार होने पर 24 घंटे के भीतर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।