वाराणसी I देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर मंगलवार को काशी के घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। भोर से ही दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और अस्सी घाट पर हर-हर महादेव और मां गंगा की जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है, जिसे हरि प्रबोधनी एकादशी और देवोत्थानी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन का महत्व हिंदू धर्म में विशेष माना गया है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की योग निद्रा के बाद जागृत होते हैं।
सुबह होते ही श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त किया और दान का पारंपरिक अनुष्ठान पूरा किया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने ब्राह्मणों व भिक्षुकों को चावल, दाल आदि का दान किया। मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर निद्रा में जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनों में हिंदू समाज में मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा और शंख ध्वनि से उन्हें जागृत करने की परंपरा का निर्वहन किया गया। साथ ही, शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न कर श्रद्धालुओं ने पुण्य लाभ प्राप्त किया।