वाराणसी। गंगा नदी, जिसे आस्था और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। डीजल और पेट्रोल से चलने वाली नावें जहरीला धुआं छोड़ रही हैं, जिससे गंगा की पवित्रता और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने इस बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की है और प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है।
स्थानीय निवासी राणा अंशुमान सिंह ने कहा कि गंगा हमारी आस्था और पहचान का प्रतीक है। लेकिन इन नावों से निकलने वाला धुआं इसकी पवित्रता को नष्ट कर रहा है। प्रशासन को केवल पर्यावरण के अनुकूल नावों को चलाने की अनुमति देनी चाहिए। इसके साथ ही गंगा तट पर रहने वाले लोगों का कहना है कि डीजल और पेट्रोल चालित नावों से निकलने वाला धुआं न केवल वायु को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि गंगा के जल को भी दूषित कर रहा है।

प्रमुख समस्याएं :-
- डीजल और पेट्रोल चालित नावों से निकलने वाला धुआं वायु और जल प्रदूषण का कारण बन रहा है।
- प्रदूषण से गंगा का पारिस्थितिक तंत्र और जल जीवन प्रभावित हो रहा है।
- यात्रियों और नाविकों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
पर्यावरणविदों की मांगें :-
- प्रदूषण फैलाने वाली नावों पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- सीएनजी और सोलर ऊर्जा से चलने वाली नावों को बढ़ावा दिया जाए।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमित रूप से गंगा जल और नावों की जांच करे।
- गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाएं।
हालांकि प्रशासन ने गंगा की स्वच्छता के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इन योजनाओं को धरातल पर लागू करने की गति धीमी है।
गंगा की पवित्रता बनाए रखना न केवल प्रशासन, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने गंगा की स्वच्छता के लिए सामूहिक प्रयास की अपील की है।
