वाराणसी I वाराणसी जिला कारागार (District Jail Varanasi) में नियमों के उल्लंघन का गंभीर मामला सामने आया है। पूर्व डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और जिला चिकित्सालय के डॉक्टर शिवेश जायसवाल पर जेल में बंद दुष्कर्म के आरोपी को बिना किसी बीमारी के 32 दिनों तक अस्पताल में रखने और उसकी पत्नी को रातभर वहां रुकने देने के आरोप लगे हैं। इस मामले में वाराणसी जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने जांच के बाद शासन को कार्रवाई की संस्तुति कर दी है।
पीड़िता ने डिप्टी जेलर पर लगाए गंभीर आरोप
चंदौली की एक दुष्कर्म पीड़िता ने डीएम को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि सितंबर 2024 में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी मुरली उर्फ प्रभु जी को गिरफ्तार कर जिला कारागार चौकाघाट, वाराणसी (District Jail Varanasi) भेजा गया था। गिरफ्तारी के समय वह पूरी तरह स्वस्थ था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड नंबर 7 में भर्ती करा दिया गया। वहां आरोपी 32 दिन तक रहा, इस दौरान उसकी पत्नी रातभर उसके साथ रहती थी और दिनभर 12 से 15 लोग उससे मिलने आते थे।

सीपी से की गई शिकायत के बाद हुई जांच
पीड़िता के पति ने पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से शिकायत की, जिसके बाद उन्होंने डीएम को मेडिकल बोर्ड बनाकर जांच कराने के निर्देश दिए। डीएम ने एडीएम भू-राजस्व विपिन कुमार और डिप्टी CMO डॉ. पीयूष राय की जांच समिति बनाई, जिसने 28 दिसंबर 2024 को जेल (District Jail Varanasi) का निरीक्षण किया।
जांच में सामने आए बड़े खुलासे
जांच में यह सामने आया कि आरोपी को इतनी लंबी अवधि तक अस्पताल में रखने की कोई जरूरत नहीं थी। बेड हेड टिकट के अनुसार, वह स्वस्थ था और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने की कोई चिकित्सा आवश्यकता नहीं थी। साथ ही, नियमों के खिलाफ जाकर चंदौली पुलिस के दो जवानों को आरोपी की अभिरक्षा में रखा गया, जबकि नियम के अनुसार वाराणसी पुलिस को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।
डीएम ने शासन को भेजी रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम एस. राजलिंगम ने कारागार प्रशासन (District Jail Varanasi) एवं सुधार सेवा के पुलिस महानिदेशक और चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजते हुए डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और डॉक्टर शिवेश जायसवाल के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। अब इस मामले में शासन स्तर पर फैसला लिया जाएगा।